x
उनके वाइकिंग समूह की कंपनियों के माध्यम से सेवाओं और निवेश की आड़ में लॉन्ड्री की गई थी।
एक्टर और बिजनसमैन सचिन जोशी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बड़ी राहत मिल गई है। मुंबई की एक विशेष अदालत ने सचिन को ओमकार रियल्टर्स एंड डेवलपर्स के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन मामले से बरी कर दिया है। धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामलों की सुनवाई के लिए नामित विशेष न्यायाधीश एम जी देशपांडे ने जोशी को इस मामले से बरी कर दिया।
सचिन जोशी को फरवरी 2021 में गिरफ्तार किया गया था। लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल आधार पर उन्हें अंतरिम जमानत दी थी। इसके बाद मार्च 2022 में, विशेष अदालत ने जोशी को मनी लॉन्ड्रिंग केस में कोई विषेश योगदान न देने के आधार पर जमानत दे दी। अदालत का मानना था कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का कोई मामला नहीं बनता।
सचिन के वकील आबाद पोंडा और परिनम लॉ एसोसिएट्स के वकील सुभाष जाधव ने दलील दी थी कि कथित मनी लॉन्ड्रिंग का कोई सबूत नहीं है जैसा कि ईडी ने दावा किया था।
जांच एजेंसी ने सचिन पर आरोप लगाया था कि ओंकार रियल्टर्स एंड डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड की एक सहयोगी कंपनी सुराणा डेवलपर्स वडाला, एलएलपी द्वारा धोखाधड़ी से 410 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया था, जिसमें झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों और एफएसआई (फ्लोर स्पेस इंडेक्स) की संख्या में झूठा इजाफा किया गया था। कथित तौर पर दावा किया गया था कि 410 करोड़ रुपये में से 330 करोड़ रुपये की राशि ओमकार समूह की बिक्री भवन में और लगभग 80 करोड़ रुपये की राशि सचिन और उनके वाइकिंग समूह की कंपनियों के माध्यम से सेवाओं और निवेश की आड़ में लॉन्ड्री की गई थी।
Next Story