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आज हम आपको चीची के नाम से मशहूर गोविंदा की निजी जिंदगी से जुड़ी एक ऐसी घटना के बारे में बताते हैं जिसने एक्टर को अंदर से झंझोर कर रख दिया था.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कॉमेडी हो या फिर सीरियस किरदार...गोविंदा (Govinda) ने फिल्मों में हर किरदार इतना बखूबी निभाया कि लोग आज भी उनकी अदाकारी की दाद देते हैं. बीते 37 साल से सिनेमाजगत में राज करने वाले गोविंदा का करियर बॉलीवुड के सफल अभिनेताओं में शुमार है. लेकिन क्या आप जानते हैं गोविंदा की जिंदगी का एक कोना ऐसा भी है जो काफी कष्टों से भरा है. आज हम आपको चीची के नाम से मशहूर गोविंदा की निजी जिंदगी से जुड़ी एक ऐसी घटना के बारे में बताते हैं जिसने एक्टर को अंदर से झंझोर कर रख दिया था.
स्ट्रगल का पलड़ा हमेशा रहेगा भारी
गोविंदा (Govinda) ने अपनी निजी जिंदगी से जुड़े इस राज का खुलासा सिमी गरेवाल के शो Rendezvous with Simi Garewal में किया था. इस शो में अपने स्ट्रगल के बारे में बात करते हुए गोविंदा ने कहा- 'मेरी सफलता के ऊपर स्ट्रगल का पलड़ा हमेशा भारी रहेगा. जब आप अपने लिए सिर्फ स्ट्रगल करते हैं तो वो समय काफी छोटा लगता है. लेकिन जब आप किसी और का भला चाहते हैं तो इंतजार का वक्त बहुत ज्यादा तकलीफ देता है.'
एक फ्लॉप फिल्म ने कर दिया सब कुछ बर्बाद
बहुत ही कम लोग इस बात को जानते होंगे कि गोविंदा के पिता अरुण आहूजा एक फिल्म एक्टर थे जबकि मां निर्मला देवी एक जानी-मानी क्वासिकल आर्टिंस्ट थीं. एक फ्लॉप फिल्म के बारे में बात करते हुए गोंविदा (Govinda) ने कहा- 'मेरे पिता ने एक फिल्म बनाई थी लेकिन वो फिल्म नहीं चल पाई थी. जिसकी वजह से काफी पैसे इसमें डूब गए. यहां तक कि काठरोड पर मौजूद खुद के बंगले को छोड़कर हम सभी को विरार में शिफ्ट होना पड़ा था. वो बहुत मुश्किल वक्त था और मेरा जन्म उस मुश्किल परिस्थिति में ही हुआ. जो कुछ भी हुआ उससे पिता काफी शॉक में थे और उन्होंने कोई काम भी नहीं किया. तो उस वक्त पूरा परिवार तकलीफों से गुजरा.'
मां के साथ घटी इस घटना ने बदल दिया था सब कुछ
इसके साथ ही गोविंदा (Govinda) ने मां के साथ घटी उस घटना का भी जिक्र किया जिसने उनकी जिंदगी में सब कुछ बदल कर रख दिया था. गोविंदा ने कहा- 'एक दिन मैं मां को खार स्टेशन पर छोड़ने गया था. मां की काफी उम्र हो गई थी. जैसे कि आपको पता है कि ट्रेन के लेडीज डब्बे में भी औरते लटकी रहती हैं. वो हमेशा कहती थीं कि बेटा अंदर ले लो मुझे. ट्रेन चली गई. इस तरह से हमारी 5 ट्रेन छूट गई. मम्मी हमेशा एक लाइन बोलती थीं- हां, ये भी ट्रेन छूट गई. बड़ा कठिन हो गया है चीची आजकल. मां के ये कहते ही मैं रोने लगा और बहुत गुस्सा भी आया. मैंने मम्मी को बोला 10 मिनट रुकिए यहीं पर. मैंने तुरंत जूते उतारे और दौड़ते-दौड़ते मामा के घर गया और उनसे कहा कि मुझे पैसे दीजिए मम्मी के लिए एसी First क्लास का पास लेना है. उसके बाद मम्मी के लिए मैंने पास बनवाया. उस दिन मैं इतना सुधर गया कि मैंने फिर समय नहीं देखा.'
किया लगातार काम
'मैंने सोचा कि मैं एक तार हूं और इसको जोर से झंझना दूं जितना तेज और जितनी देत तक हो सके. उसी जुनून में मैंने ये नहीं देखा कि मैं कितनी फिल्में कर रहा हूं. कौन मुझे गाली दे रहा है और कौन मुझे प्यार कर रहा है. कौन मुझे ये कह रहा है कि नहीं, गोविंदा (Govinda) तुम्हें कम फिल्में करनी चाहिए. ये सब मेरे लिए उस वक्त मैटर नहीं करता था. मुझे जो बनना था मैं उस वक्त वो बन रहा था.'
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