मनोरंजन
नहीं रहे 'महाभारत' के भीम: प्रवीण कुमार सोबती का निधन, जानें कैसे एक पहलवान बना 'Mahabharat' का 'भीम'
jantaserishta.com
8 Feb 2022 4:54 AM GMT
x
नई दिल्ली: डायरेक्टर-प्रोड्यूसर बीआर चोपड़ा के ऐतिहासिक सीरियल महाभारत के भीम उर्फ एक्टर प्रवीण कुमार सोबती अब नहीं रहे. बीमारी और आर्थिंक तंगी से जूझ रहे प्रवीण ने 74 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है. भीम जैसे बलशाली किरदार को निभाकर मशहूर हुए प्रवीण, जिंदगी के आखिरी दिनों में पैसों और पहचान के लिए संघर्ष करते रहे. लेकिन उनकी जिंदगी में एक दौर ऐसा भी था जब प्रवीण अपने एक्टिंग करियर और स्पोर्ट्स के लिए जाने जाते थे.
प्रवीण कुमार सोबती का जन्म 6 दिसंबर 1947 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था. 6 फुट 7 इंच लंबे प्रवीण की कद-काठी पंजाबी खान-पान का सही उदाहरण पेश करती थी. 18 साल की उम्र में इतना शानदार फिजिकल अपीयरेंस, देखने वाले भी दंग रह जाते थे.
प्रवीण महाभारत सीरियल में आने से पहले एक शानदार एथलीट हुआ करते थे. वे हैमर और डिस्कस थ्रो यानि गोला फेंक और चक्का फेंक गेम में एशिया के नंबर वन खिलाड़ी थे. इस खेल में उनकी टक्कर का खिलाड़ी होना बहुत मुश्किल था. एशियन गेम्स में गोल्ड विनर रहे प्रवीण ने ओलंपिक में भी भाग लिया था. गोल्ड मेडल जीत चुके प्रवीण की किस्मत में कुछ और ही था. मैदान में बेहतरीन खिलाड़ी होने का परिचय देने के बावजूद सीरियल महाभारत ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई. लोग महाभारत के इस गदाधारी भीम को देख उन्हें ही असली भीम मानने लगे थे.
एक इंटरव्यू में प्रवीण ने एक्टिंग में आने से पहले अपने शेड्यूल के बारे में बताया था. प्रवीण ने कहा- 'एक भी दिन ऐसा नहीं जब मैं 3 बजे ना उठा हूं. गांव में जिम जैसी कोई चीज नहीं थी और ना ही तब तक मैंने ऐसी चीज देखी थी. मां घर में जो चक्की अनाज पीसने के लिए इस्तेमाल करती थी, उसी की सिल्लियों का वजन उठाकर मैं ट्रेनिंग करता था. भोर के 3 बजे से सूरज निकलने तक मैं ट्रेनिंग करता था. तीन साल लगे शरीर बनाने में और जब जानने वालों ने मुझे देखा तो वो पहचान नहीं पाए. मेरा शरीर एकदम देसी खुराक से बना था.'
स्कूल में जब हेडमास्टर ने प्रवीण की ताकत देखी तो उन्हें गेम्स में भेजना शुरू किया. प्रवीण ने कई प्रतियोगिताएं जीती और 1966 के कॉमनवेलथ गेम्स में डिस्कस थ्रो के लिए उनका सिलेक्शन किया गया. जमैका में आयोजित इस खेल प्रतियोगिता में प्रवीण ने सिल्वर मेडल जीता. 1972 में प्रवीण ने जर्मनी के म्यूनिक शहर में आयोजित ओलंपिक्स में हिस्सा लिया.
प्रवीण को खेल की बदौलत सीमा सुरक्षा बल में डिप्टी कमांडेंट की नौकरी मिली थी. अभी उन्होंने नौकरी शुरू ही की थी कि उन्हें महाभारत सीरियल में चुन लिया गया. प्रवीण को उनके एक दोस्त ने बताया कि बीआर चोपड़ा भीम के किरदार के लिए एक बलशाली लड़का ढूंढ रहे हैं और प्रवीण से मिलना चाहते हैं. फिर प्रवीण बीआर चोपड़ा से मिले और उनका सिलेक्शन हो गया. बस यहीं से उनकी सफलता का सफर शुरू हो गया. उन्होंने महाभारत के अलावा चाचा चौधरी में साबू का रोल और करीब 50 फिल्मों में काम किया था. उन्होंने 100 रुपये के शगुन के साथ अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी.
प्रवीण कुमार सोबती ने राजनीति में भी हाथ आजमाया था. उन्होंने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी से राजनीति में एंट्री की थी. प्रवीण ने बताया था कि उन्हें राजनीति में आने का कोई शौक नहीं था. एक्टिंग के बाद वे घर पर आराम से गुजर-बसर कर रहे थे. एक दिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उनके घर गए. उन्होंने प्रवीण से राजनीति में आने का अनुरोध किया. पहले तो प्रवीण ने इसके लिए मना किया लेकिन जब केजरीवाल ने कहा कि इसमें जब तक कोई अच्छा आदमी नहीं आएगा तो देश का भला कैसे होगा, तो उनकी इस बात से प्रवीण राजनीति में आने को तैयार हो गए थे.
2013 में वे आम आदमी पार्टी (AAP) से जुड़ गए. उन्होंने वजीरपुर क्षेत्र से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए. राजनीति में आना प्रवीण को जम नहीं पाया. उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा था- राजनीति से गंदी कोई चीज नहीं. इसमें आपको कुछ नहीं करना, बस भाषण देना है और हाथ झाड़ने हैं. लोग भी इसलिए मिलते हैं क्योंकि उन्हें काम निकलवाना होता है. लोग अपने मतलब के लिए आपसे मिलते हैं.
Next Story