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नहीं रहीं भारत रत्न लता मंगेशकर, हीरों की थीं शौकीन, इंटरव्यू में कही यह बात
jantaserishta.com
6 Feb 2022 6:26 AM GMT
![नहीं रहीं भारत रत्न लता मंगेशकर, हीरों की थीं शौकीन, इंटरव्यू में कही यह बात नहीं रहीं भारत रत्न लता मंगेशकर, हीरों की थीं शौकीन, इंटरव्यू में कही यह बात](https://jantaserishta.com/h-upload/2022/02/06/1489764-untitled-50-copy.webp)
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नई दिल्ली: वैसे तो लता मंगेशकर ने अपने जीवन में संगीत से ज्यादा तवज्जो किसी चीज को नहीं दी. मगर इसके बावजूद कुछ चीजें ऐसी हैं जिनसे लता को गहरा लगाव रहा. लता मंगेशकर हमेशा से क्रिकेट की बहुत बड़ी प्रशंसक रही थीं. रियाज से समय निकालकर या खाली समय में वे क्रिकेट के मैच जरूर देखती थीं और खिलाड़ियों की हौसलाफजाई में भी कोई कमी नहीं करती थीं. माना जाता है कि लता सादा जीवन जीने वाली महिला थीं मगर बावजूद इसके उनके कुछ और छोटे-मोटे शौक भी थे. इसका जिक्र लता ने एक इंटरव्यू के दौरान किया था.
लता को था साड़ियों का शौक
लता ने कहा था कि ताजमहल होटल में जाना पसंद है. वहां कुछ पहचान की दुकाने हैं जहां जाकर गप्पे मारती हैं. उन्हें साड़ियों की दुकान में जाना सबसे ज्यादा पसंद था. कहीं भी जाती हैं तो साड़ियों की दुकान में जरूर जाती हैं और साड़ियां खरीदती हैं. इसके अलावा उन्हें गहनों का भी बहुत शौक है. खास तौर से डायमंड से उन्हें ज्यादा लगाव है.
लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि दें
लता मंगेशकर ने अपना सारा जीवन संगीत को समर्पित कर दिया. लेकिन उनपर ताउम्र ये प्रश्न उठे कि वे दूसरों को गाने का मौका नहीं देती हैं मगर इस बारे में किसी ने नहीं सोचा कि अगर वे गाने नहीं गाएंगी तो करेंगी क्या. जिसने नाजुक उम्र में ही संगीत को अपना हमसफर बना लिया हो, मुश्किल घड़ी में जिसको संगीत का साथ मिला हो, जिसने संगीत में तालीम हासिल की हो उसके लिए संगीत से बढ़कर भला और क्या हो सकता है.
शुरुआती दिनों में झेला था रिजेक्शन
लता ने साल 1945 में फिल्म बड़ी मां में अभिनय किया था. इस फिल्म में उनकी छोटी बहन आशा भोसले भी थीं. जब लता इंडस्ट्री में नई-नई आई थीं उस दौरान उन्हें सबसे ज्यादा संघर्ष अपनी आवाज की वजह से ही करना पड़ा था. उस समय नूर जहां का बोलबाला था और उनकी आवाज काफी मोटी थी. मगर लता की आवाज काफी पतली थी. इस वजह से उन्हें अच्छी गायकी के बावजूद शुरुआत में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. मगर धीरे-धीरे वो दौर भी आया जब उनकी आवाज लोगों को भाने लगी. उसके बाद गायिकी का जो सिलसिला शुरू हुआ वो कभी नहीं थमा.
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