जनता से रिश्ता वेबडेस्क| B'day, merchant, actor, strong acting, heart,'ना तलवार की धार से ना गोलियों की बौछार से, बंदा डरता है तो सिर्फ परवरदिगार से'...तिरंगा फिल्म का ये डायलॉग कौन भूल सकता है. कुछ ऐसे ही और भी मशहूर डायलॉग्स के लिए अमिट छाप छोड़ने वाले एक्टर राज कुमार अपनी दमदार आवाज और डायलॉग डिलीवरी के लिए आज भी अलग रुतबा रखते हैं. आज ही के दिन 8 अक्टूबर को राज कुमार का जन्म पाकिस्तान में हुआ था. जन्म के वक्त उनका नाम कुलभूषण नाथ पंडित रखा गया था लेकिन फिल्मों में आने के बाद वे राज कुमार नाम से मशहूर हुए. आइए इस खास दिन पर उनके बारे में चर्चा करें.
राज कुमार अपने जमाने के दिग्गज अभिनेता थे. उनकी दमदार आवाज किसी को भी अपना दीवाना बना देती थी, साथ ही उस आवाज में अपने डायलॉग्स कहना, सोने पे सुहागा था. लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में आने से पहले राज कुमार पुलिस में तैनात थे. राज कुमार मुंबई पुलिस में बतौर आईएएस सब-इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत थे. यह 1940 के समय की बात है. फिर वक्त बदला और उनका मन भी बदला और उन्होंने फिल्म लाइन की ओर अपना रास्ता ही बदल लिया.
इन फिल्मों में किया कमाल
साल 1952 में उन्होंने फिल्म 'रंगीली' से हिंदी सिनेमा में कदम रखा. फिर तीन साल के बाद उन्हें अपनी दूसरी फिल्म 'घमंड' मिली. इसके बाद 1957 में राज कुमार 'मदर इंडिया' में नजर आए. इस फिल्म को आस्कर में नॉमिनेट किया गया था. धीरे-धीरे फिल्मों का यह काफिला आगे बढ़ता गया और हीर-रांझा, पाकीजा, हिंदुस्तान की कसम, बुलंदी, धर्म कांटा जैसी एक से बढ़कर एक फिल्मों में अपनी एक्टिंग और डायलॉग्स से वे दर्शकों का दिल जीतते रहे. 'दिल एक मंदिर' फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजा गया.
'सौदागर' के लिए आज भी याद किए जाते हैं राज कुमार
अब आते हैं उनकी यादगार फिल्म 'सौदागर' पर. दिलीप कुमार संग उनकी जोड़ी 30 साल बाद पर्दे पर एक साथ नजर आई थी. इसमें ठाकुर राजेश्वर सिंह के किरदार में राज कुमार ने जान डाल दी थी. सौदागर आज भी राज कुमार की फिल्म के लिए सबसे ज्यादा याद की जाती है. इसके बाद वे पुलिस और मुजरिम, इन्सानियत के देवता, तिरंगा जैसी फिल्मों में दिखे.
अंतिम दिनों में भी काम करते रहे
उन्होंने 1995 में आखिरी फिल्म 'गॉड एंड सन' की थी. इस फिल्म के बाद ना वे फिल्मों में लौटे और ना ही दुनिया में. 3 जुलाई 1996 को उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली. उन्हें थ्रोट कैंसर था. राज कुमार के बेटे पुरू राज कुमार ने एक इंटरव्यू में बताया था कि अंतिम दो साल उनके पिता को फेफड़ों और पसलियों में काफी दिक्कत थी.