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''BB 2'' विनर आशुतोष कौशिक ने खटखटाया HC का दरवाजा,बोले- '10 साल बाद भी मिल रही सजा'

Neha Dani
24 July 2021 5:58 AM GMT
BB 2 विनर आशुतोष कौशिक ने खटखटाया HC का दरवाजा,बोले- 10 साल बाद भी मिल रही सजा
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लेकिन पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2019 इस अधिकार को मान्यता प्रदान करता है.

टीवी रियेलिटी शो रोडीज 5.0 (Roadies 5.0) और बिग बॉस सीजन 2 (Bigg Boss) के विजेता आशुतोष कौशिक (Ashutosh Kaushik) लंबे समय बाद एक बार फिर सुर्खियों में हैं. आशुतोष कौशिक ने 'भूल जाने के अधिकार (Right To Be Forgotten)' के तहत दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है. अपनी याचिका में उन्होंने इंटरनेट से उन पोस्ट, वीडियो, लेख आदि को हटाने का निर्देश देने की मांग की है, जो 2009 में उनके शराब पीकर गाड़ी चलाने से जुड़े हैं. आशुतोष कौशिक ने मांग की है कि सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से उनके वीडियो और आर्टिकल्स हटा दिए जाएं.

आशुतोष कौशिक का कहना है कि इस मामले को गुजरे 10 साल से भी ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन उन्हें आज भी इसकी सजा मिल रही है. आज भी इस मामले से जुड़े आर्टिकल और पोस्ट सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं, जिससे उनकी छवि प्रभावित हुई है. एक्टर की याचिका पर 22 जुलाई को सुनवाई भी हुई. कोर्ट ने भी गूगल और चैनलों को इस मामले पर जवाब देने के लिए एक महीने का वक्त दिया है.
मामले पर आशुतोष कौशिक कहते हैं- 'अदालत ने भी माना है कि मामले से संबंधित वीडियो, पोस्ट और आर्टिकल मेरी पर्सनल लाइफ को नुकसान पहुंचा रहे हैं. मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि घटना से संबंधित सभी लिंक गूगल से हटा दिए जाएं. मेरे जैसे कई लोग हैं, जो इस तरह की घटनाओं की कीमत सालों तक चुकाते रहते हैं.' आशुतोष का कहना है कि वह लंबे समय से याचिका दायर करने के बारे में सोच रहे थे, लेकिन अब जाकर फैसला लिया.
बता दें, आशुतोष कौशिक द्वारा दायर की गई याचिका सालों पहले उनके शराब पीकर गाड़ी चलाने से जुड़ा है. एक्टर का कहना है कि वह चाहते हैं कि सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से उनके वीडियो और अन्य लिंक हटा दिए जाएं, क्योंकि वह एक सेलिब्रिटी हैं और इससे उनकी प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ को काफी नुकसान हो रहा है.
क्या है 'भूल जाने का अधिकार'
'भूल जाने का अधिकार (Right To Be Forgotten)' सार्वजनिक रूप से उपलब्ध व्यक्तिगत जानकारी को किसी भी तरह के सर्च, इंटरनेट, डेटाबेस, वेबसाइट और अन्य सार्वजनिक प्लेटफॉर्म से हटाने का अधिकार देती है. जब यह व्यक्तिगत जानकारी प्रासंगिक नहीं रह जाती है तो इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटवाया जा सकता है. हालांकि, भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है, जो 'भूल जाने' का प्रावधान करता है, लेकिन पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2019 इस अधिकार को मान्यता प्रदान करता है.

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