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बचपन में आशा नेगी को इस शख्स पर था क्रश, कहा- पास जाने में होती थी झिझक

Neha Dani
9 July 2021 6:08 AM GMT
बचपन में आशा नेगी को इस शख्स पर था क्रश, कहा- पास जाने में होती थी झिझक
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इस फ़िल्म में मेरी यह सब ख्वाहिशें पूरी हुई हैं।''

टीवी पर तक़रीबन नौ साल बिताने के बाद एक्ट्रेस आशा नेगी ने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का रुख़ किया। 2019 में आशा ऑल्ट बालाजी की सीरीज़ बारिश में शरमन जोशी के साथ फीमेल लीड रोल में नज़र आयीं। इसके बाद अभय 2, लव का पंगा और ख़्वाबों के परिंदे में आशा ने प्रमुख किरदार निभाये। 2020 में आशा नेटफ्लिक्स की फ़िल्म लूडो में अभिषेक बच्चन के किरदार की पत्नी के रोल में दिखीं।



अब डिज़्नी प्लस हॉस्टार वीआईपी पर 9 जुलाई को रिलीज़ हो रही थ्रिलर फ़िल्म 'कॉलर बॉम्ब' में जिम्मी शेरगिल के साथ लीड रोल में दिखेंगी। आशा ओटीटी की दुनिया में आकर ख़ुश और उत्साहित हैं। यह पूछे जाने पर कि टीवी और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए कामकाज की शैली में वो क्या फ़र्क पाती हैं, आशा कहती हैं- ''टीवी और ओटीटी प्लेटफॉर्म में बहुत फ़र्क है।
टेलीविज़न में हम लोगों को बहुत जल्दी-जल्दी काम करना पड़ता है। आज का टेलीकास्ट है या कल का टेलीकास्ट है। उस वजह से परफॉर्मेंस पर ध्यान नहीं दे पाते। क्वालिटी वर्क पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। ओटीटी पर तसल्ली से काम होता है। आपने एक प्रोजेक्ट किया। वो एक-दो महीनों में ख़त्म हो गया। आप आगे बढ़ जाते हैं। कोई नया कैरेक्टर, कोई नया शो, कोई नई फ़िल्म करते हैं।''


टीवी अब आशा की प्राथमिकता नहीं है। कहती हैं- ''अब मुझे नहीं लगता कि मेरे अंदर इतना धैर्य बचा है कि 2-3 साल तक कोई टीवी शो करती रहूं। हां, जो लोग आर्थिक सुरक्षा चाहते हैं, उनके लिए टेलीविज़न बहुत बढ़िया माध्यम है। टेलीविज़न शो जितना लम्बा चल रहा है, उतना अच्छा है। अब मैं रचनात्मक रूप से अधिक संतुष्ट होना चाहती हूं। आशा आगे कहती हैं कि मुझे लगता है कि वेब माध्यम, फ़िल्म और टेलीविज़न के बीच एक ख़ूबसूरत ब्रिज की तरह है, क्योंकि वेब पर कोई टेलीविज़न एक्टर नहीं है और कोई फ़िल्म एक्टर नहीं है। वेब में सब बस एक्टर हैं।''


आशा जिस तरह का काम करती रही हूं, 'कॉलर बॉम्ब' में उससे बिल्कुल अलग नज़र आ रही हैं। अपने किरदार और फ़िल्म की बैकग्राउंड के बारे में आशा बताती हैं- ''हिमाचल प्रदेश का एक छोटा-सा गांव है, जहां पर हॉस्टेज सिचुएशन आयी है। ऐसी सिचुएशन है कि गांव वालों और हम सब पुलिस वालों ने कभी नहीं देखी। पहाड़ का छोटा-सा गांव है, जहां क्राइम बमुश्किल होता है।



मेरे निर्देशक ने मुझसे यही बोला कि गन के साथ ज़्यादा कॉन्फिडेंट नहीं दिखना है, क्योंकि इस बंदी ने आज से पहले गन चलाई ही नहीं होती। कोई क्राइम नहीं है, इसलिए लाठियों से ही अपना काम कर लेते हैं। गन की ज़रूरत ही नहीं पड़ी कभी। मुझे अपने किरदार के ज़रिए कुछ ऐसा भी दिखाना पड़ा कि गन वगैरह यूज़ करने में मैं कच्ची हूं। कोई पुलिसवाली पहली बार गन यूज़ करे तो वो कैसे करेगी! बिलकुल उस तरह। इन सब बातों का बहुत ध्यान रखना पड़ा था। जिम्मी सर हैं मेेरे साथ, जो एक्स कॉप रह चुके हैं। मुझे इस तरह का कैरेक्टर काफ़ी टाइम से करना था। स्टंट करने थे। इस फ़िल्म में मेरी यह सब ख्वाहिशें पूरी हुई हैं।''


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