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Aryan Khan Drugs Case: समीर वानखेड़े की नौकरी जाती है या नवाब मलिक का मंत्रिपद, यह देखने वाली बात होगी- रामदास आठवले

Rani Sahu
23 Oct 2021 5:23 PM GMT
Aryan Khan Drugs Case: समीर वानखेड़े की नौकरी जाती है या नवाब मलिक का मंत्रिपद, यह देखने वाली बात होगी- रामदास आठवले
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शाहरुख खान (Shahrukh Khan) के बेटे आर्यन खान (Aryan Khan) के मुंबई क्रूज ड्रग्स मामले (Mumbai cruise drugs case) मामले में NCB विरुद्ध NCP विवाद बढ़ता ही जा रहा है

शाहरुख खान (Shahrukh Khan) के बेटे आर्यन खान (Aryan Khan) के मुंबई क्रूज ड्रग्स मामले (Mumbai cruise drugs case) मामले में NCB विरुद्ध NCP विवाद बढ़ता ही जा रहा है. एनसीपी नेता नवाब मलिक का आरोप रहा है कि एनसीबी ने फर्जी छापेमारी करके आर्यन खान को फंसाया है. क्रूज में ड्रग्स बरामद नहीं हुआ था. ड्रग्स की बरामदगी एनसीबी के ऑफिस में दिखाई गई है. साथ ही एनसीबी ने 11 लोगों को हिरासत में लिया था, जिनमें से 3 लोगों को बीजेपी के दबाव में छोड़ दिया. यानी एनसीबी राजनीतिक पार्टी के कहने पर काम कर रही है. एनसीबी ने भी नवाब मलिक को जोरदार जवाब दिया है. इस बढ़ते विवाद पर शनिवार को केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास आठवले (Ramdas Athawale) ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है.

महाराष्ट्र के कराड में पत्रकारों से बात करते हुए रामदास आठवले ने कहा "राष्ट्रीय जांच एजेंसियों की ओर से राज्य में कार्रवाइयां होने के बावजूद शरद पवार के परिवार या किसी और को परेशान करने का कोई मकसद नहीं है. ये एजेंसियां पूरी तरह से स्वतंत्र हैं. इनकी कार्रवाइयों में केंद्र सरकार के हस्तक्षेप का कोई सवाल ही नहीं उठता."
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आगे रामदास आठवले ने इस पर अपनी टिप्पणी देते हुए कहा, " इस पूरे मामले में एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े की नौकरी जाती है या एनसीपी से राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नवाब मलिक का मंत्रिपद जाता है, यह देखने वाली बात होगी." रामदास आठवले यह जिक्र कर रहे थे कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में बॉलीवुड में बड़ी मात्रा में ड्रग्स का प्रसार होने की बात सामने आई थी. आर्यन खान पर हुई कार्रवाई के मामले में भी कोई पक्षपात नहीं हुआ है. उनके खिलाफ सबूत हैं तभी तो कोर्ट उन्हें जमानत नहीं दे रहा है. ईडी, सीबीआई, एनसीबी की छापेमारी में अगर कोई दोषी पाया जाता है तो कार्रवाई तो होकर रहेगी. रामदास आठवले ने यह स्पष्ट किया.
उधर प्रसिद्ध वकील उज्ज्वल निकम ने भी इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राजनीतिक पार्टियां द्वारा केंद्रीय जांच एजेंसियों के ऐक्शन पर सवाल उठाना एक खतरनाक परंपरा की शुरुआत है. लेकिन उन्होंने जांच एजेंसियों के अधिकारियों को भी नसीहत देते हुए कहा कि उन्हें भी अपनी ड्यूटी पर फोकस रखना चाहिए यानी 'चमकोगिरी' से बचना चाहिए.
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