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''अप्लॉज एंटरटेनमेंट'' ने पूरे किए 5 साल, CEO Sameer Nair ने बताए अपने बिजनेस प्लान

Neha Dani
18 Aug 2022 5:01 AM GMT
अप्लॉज एंटरटेनमेंट ने पूरे किए 5 साल, CEO Sameer Nair ने बताए अपने बिजनेस प्लान
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उन्हें पता है कि 1 महीने के बाद उन्हें फिल्में ओटिटि पर मिल जाएंगी। मेरे हिसाब से यह नहीं होना चाहिए। यह बहुत गलत है।

आदित्य बिड़ला ग्रूप की कंटेंट प्रोडक्शन हाउस 'अप्लॉज एंटरटेनमेंट' ने देखते ही देखते पांच साल पूरे कर लिए। 'अप्लॉज एंटरटेनमेंट' ने 'स्कैम 1992', 'रुद्र – द एड ऑफ डार्कनेस' जैसे कई हिट शोज दिए हैं। इन पांच सालों में 'अप्लॉज एंटरटेनमेंट' ने 40 बेब सीरीज रिलीज किए हैं, करीब 6 से 7 फिल्में बन रही हैं, कई सारे डॉक्यूमेंट्री पर काम चल रहा है। वहीं इस खास मौके पर 'अप्लॉज एंटरटेनमेंट' के सीइओ समीर नायर ने अपने बिजनेस प्लान के बारे में बातचीत की।



उन्होंने बताया कि 'अभी तक यहां आए हैं, आने वाले 5-10 सालों में कंपनी को और आगे बढ़ाएंगे। कई सारे शोज करने हैं, इंटरनेशनल कोलैबोरेशन करना है। मार्केट बढ़ने वाला है, 5g भी आने वाला हैं, प्लेटफॉर्मस भी बढेंगे। ऐसे में हमारी कोशिश सिर्फ यही रहेगी कि हम लोगों को बेहतर से बेहतर कहानियां बता पाएं।'


वहीं अपने बिजनेस प्लान को लेकर समीर नायर ने कहा 'हम पहले कहानियां बनाते हैं, फिर दिखाते हैं। हमने जब शुरुआत की थी, तो हमारा यही प्लान था कि हम कंटेंट पूरा करने के बाद ही प्लेटफॉर्मस को दिखाएंगे। इस प्रक्रिया में यह होता है कि हम अलग-अलग प्लेटफॉर्म को अपनी कहानी बताते हैं , इसके बाद वह लोग तय करते हैं कि उनको कहानी लेनी है या नहीं। हम किसी एक ओटिटि प्लेटफॉर्म के साथ बंधे हुए नहीं हैं। हम सबके साथ काम करते हैं।'


इंटरनेशनल अडैप्टेशन के बारे में बात करते हुए समीर नायर ने कहा कि 'रीमेक को लेकर हमारा उद्देश ये नहीं होता है कि लोग तुलना करें। हम रीमेक इसलिए बनाते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा इंडियन आडियंस शोज को देख सके। हर रीमके के लिए ऐसा ही होता है। सिर्फ हमारे देश में ही नहीं, दुनियाभर में यह होता है। 'अमेरिकन द आफिस' की बात करें तो यह बना था पहले ब्रिटिस ऑफिस, फिर अमेरिकन में बना, इसके बाद इसे हमने भी बनाया।


समीर नायर ने थिएटर और ओटिटि रिलीज को लेकर भी कई सारी बातें साझा की हैं। उन्होंने कहा कि पहले के समय में थिएटर रिलीज के पांच महीने या एक साल बाद फिल्म को ओटिट पर रिलीज किया जाता था। लेकिन आजकल कुछ सालों से 1 महीने के अंदर के ही फिल्में आपको ओटिटि पर देखने को मिल जाती हैं। इस शॉर्ट विंडो की वजह से जब कोई फिल्म थिएटर में अच्छा प्रदर्शन भी कर रही होती है, तब भी दर्शक सिनेमाघरों में जाकर देखना पसंद नहीं करते, बल्कि ओटिटि पर आने का इंतजार करते हैं। उन्हें पता है कि 1 महीने के बाद उन्हें फिल्में ओटिटि पर मिल जाएंगी। मेरे हिसाब से यह नहीं होना चाहिए। यह बहुत गलत है।




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