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चपीयू के सभागार में किए गए अभिनय ने ही मुझे अनुपम खेर को बनाया और पहला बेस्ट एक्टर का अवार्ड भी एचपीयू से ही मिला
'चपीयू के सभागार में किए गए अभिनय ने ही मुझे अनुपम खेर को बनाया और पहला बेस्ट एक्टर का अवार्ड भी एचपीयू से ही मिला।' एचपीयू के पूर्व छात्र कार्यक्रम के दौरान मशहूर फिल्म अभिनेता और पदमश्री अवार्ड से सम्मानित अनुपम खेर ने अपने छात्र जीवन के अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि आज तक मैंने 500 से ज्यादा फिल्में की है और 300 से अधिक नाटक किए हैं। ढेरों सम्मान मिले हैं, लेकिन एचपीयू का आज जो सम्मान मिला है, ऐसा सम्मान आज तक नहीं मिला। उन्होंने कहा कि मैं ऐसा पहला एचपीयू का छात्र हूं, जो 38 फीसदी माक्र्स लेकर भी इतने बड़े सम्मान से नवाजा गया हूं। उनकी इस बात पर पूरा सभागार तालियों और हंसी के ठहाकों से गंूज उठा। सभागार में घड़ी का समय जब 11:30 था, तो इस पर अनुपम खेर ने कहा कि इस घड़ी को देखकर ऐसा लगता है मानों वक्त कहीं थम सा गया है।
इसके साथ ही उन्होंने अपने छात्र जीवन के दौरान उनके शिक्षकों को भी याद किया। मेरे गुरुजन कहते थे कि 'तू रेस में अकेला दौड़ेगा तो भी दूसरे नंबर पर ही आएगा।' इस दौरान उन्होंने यह भी कहा है कि मां ने उनकी पूरी जीवन यात्रा को देखा है। उन्हें शुरू से ही एक्टिंग का शौक रहा और अपना करिरयर भी उन्होंने इसी क्षेत्र में बनाया। वह जो कुछ भी आज है, अपनी मां की वजह से हैं। उन्होंने कहा कि एक बार एक्टिंग में एडमिशन के लिए उन्हें चंड़ीगढ़ जाना था, तो उन्होंने पिकनिक का बहाना बनाया और मां के मंदिर से 108 रुपए चुराए। बाद में जब उनका सिलेक्श्न हुआ तो स्टाईपंड के तौर पर मिले 200 रुपए से उन्होंने मंदिर के पैसे वापस लौटाए। उन्होंने क्लास टीचर से जुड़ा एक किस्सा भी शेयर किया।
Rani Sahu
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