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Mameru Ceremony : मामेरू सेरेमनी से हुआ अनंत अंबानी और राधािका मर्चेंट की शादी की रस्मों का आगाज

Kavita2
4 July 2024 8:06 AM GMT
Mameru Ceremony : मामेरू सेरेमनी से हुआ अनंत अंबानी और राधािका मर्चेंट की शादी की रस्मों का आगाज
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Mameru Ceremony मामेरु समारोह: अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट 12 जुलाई को शादी के बंधन में बंधने को तैयार हैं, लेकिन उनकी शादी की धूम कई महीने पहले से ही शुरू हो चुकी है। अपनी शादी की खुशियां बांटने के लिए उन्होंने दो प्री-वेडिंग सेलिब्रेशन का आयोजन किया था, जिसमें दुनियाभर के सुपरस्टार्स शामिल हुए। लेकिन बुधवार से उनकी शादी की रस्में भी शुरू हो गई हैं। बुधवार को अनंत और राधिका की मामेरू की रस्म का आयोजन हुआ। इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया
Photos Social Media
पर खूब वायरल भी हो रही हैं, जिसमें अनंत और राधिका काफी खूबसूरत लग रहे हैं। इनके साथ ही, अंबानी परिवार के अन्य सदस्य और राधिका के परिवारजन भी इस समारोह काफी रॉयल लुक में नजर आए। ईशा अंबानी अपने पति आनंद परीलम और अपने बच्चों के साथ पोज देते नजर आए, तो वहीं आकाश अंबानी और श्लोका मेहता भी किसी से कम नहीं लग रहे थे, लेकिन जिस रस्म के लिए इतना भव्य आयोजन किया गया था, क्या आप उसके बारे में जानते हैं कि वह आखिर है क्या। आइए जानते हैं मामेरू रस्म के बारे में।
मामेरू का गुजराती में मतलब होता है-मामा, यानी मां का भाई। इस रस्म का नाम इसलिए मामेरू पड़ा, क्योंकि इसमें दुल्हा और दुल्हन के मामा, उनके लिए और उनके परिवार के लिए अपनी क्षमता के अनुसार तोहफे लाते हैं और खूब सारा आशीर्वाद देते हैं। इस रस्म को मोसालू भी कहा जाता है। गुजराती शादी में इस परंपरा का काफी महत्व होता है। इसमें शादी के कुछ दिनों पहले मामा और उनके परिवार की तरफ से दुल्हा और दुल्हन के लिए कई उपहार आते हैं। इस रस्म में मां के परिवार की तरफ से जो तोहफे मिलते हैं, उसे मामेरू कहा जाता है। इसमें न सिर्फ तोहफे दिए जाते हैं, बल्कि होने वाले दुल्हा और दुल्हन को सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद भी मिलता है। परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर खुशियां बांटने का यह एक बेहद खास तरीका है।
अनंत और राधिका की मामेरू रस्म के लिए नीता अंबानी की मां पूर्णिमा दलाल और उनकी बहन ममता दलाल आए। साथ ही, उनके परिवार के अन्य सदस्य भी इस रस्म में शामिल होते नजर आए। तस्वीरों में अनंत और राधिका के परिवारजनों की खुशी साफ झलक रही थी। एक तरह से देखा जाए, तो इस रस्म के जरिए परिवार के अन्य सदस्यों को सम्मान और खुशी में शामिल होने का निमंत्रण दिया जाता है।
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