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उन्हें कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं।
गुजरात के मोरबी में एक बेहद दर्दनाक हादसा हो गया। मोरबी में एक पुल धड़धड़ाकर गिर गया, जिसमें 140 से अधिक लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। मोरबी का यह पुल 'झूलता पुल' के नाम से मशहूर था और मच्छु नदी पर बना था। बताया जा रहा है कि हादसे के वक्त पुल पर 500 से अधिक लोग थे। हैरानी की बात यह है कि इस पुल को सात महीने पहले ही रेनोवेशन और मरम्मत के काम के लिए बंद किया गया था। तो फिर इसे खोला क्यों गया? सवाल उठ रहे हैं कि क्या ज्यादा कमाई के लालच के चक्कर में पुल खोला गया? लोगों की मौत के बीच मोरबी पुल पर सियासत शुरू हो गई है। इसी बीच इरफान की फिल्म 'मदारी' का एक सीन तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें दिखाया गया है कि किस तरह घूस लेकर और रुपया-पैसा खिलाकर पुल बनाए जाते हैं।
इस सीन की बात इसलिए हो रही है क्योंकि फिल्म में एक्टर Irrfan Khan खान का बेटा एक पुल के नीचे दबकर मर जाता है। फिल्म में वह एक आम आदमी के किरदार में हैं। वह बेटे की मौत के लिए सत्ता को दोषी मानते हैं। इरफान का किरदार बदला लेने के लिए गृहमंत्री (फिल्म में) को किडनैप कर लेता है। इरफान का किरदार उन लोगों को सजा दिलाना चाहता है, जिसकी वजह से उसका बेटा और अन्य लोग पुल के नीचे दबकर मरे। 'मदारी' फिल्म के इसी सीन को लोग सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं।
'मदारी' का यह सीन और मोरबी का पुल
वायरल सीन में इरफान कह रहे हैं, 'आपसे पूछ रहा हूं। आप ठेकेदार हैं ना पुल के। बहुत पुल बांधे हैं आपने। इस पुल में क्या गड़बड़ी हुई थी?'। फिर जवाब मिलता है, 'गलती हो गई हमसे। बहुत खिलाना-पिलाना पड़ा हमें, इसलिए गलती हो गई।' तब इरफान साथ बैठे एक नेता की ओर इशारा करते हुए ठेकेदार से पूछते हैं, 'इसको खिलाया?' कोई जवाब नहीं मिलता है। इरफान कुर्सी से उठते हैं और पास ही रखे सिलेंडर का नॉब खोल देते हैं। गैस कमरे में भरने लगती है तो नेता डर जाता है।
फिल्म ने सत्ता और आम आदमी को लेकर दिया था यह संदेश
डरकर वह अपना गुनाह कबूल करता है और कहता है, 'मैंने खाया। बहुत ज्यादा खाया। मैंने पार्टी फंड के लिए खाया। अपने लिए भी खाया। लेकिन आज तक कोई पुल गिरा नहीं। यह बस एक एक्सीडेंट है।' इतना सुनते ही इरफान बोलते हैं, 'जिस पुल के नीचे मेरा बेटा दबकर मर गया। उस पुल के पैसे आपकी पार्टी ने खाए हैं। है ना? इस पर एक और नेता का जवाब मिलता है, 'देखो पार्टी और पॉलिटिक्स में हर एक नोट का रंग नहीं देखा जाता।' 'मदारी' फिल्म के जरिए डायरेक्टर ने यही संदेश देने की कोशिश की थी कि जिस तरह एक जमूरा बंदर को नचाता है, उसी तरह सत्ता के लोग आम लोगों की नचाते हैं और उन्हें कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं।
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Neha Dani
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