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आलिया भट्ट: 'हमें नहीं सोचना चाहिए कि फिल्म ने कितने करोड़ रुपए कमाए'

Neha Dani
31 July 2022 6:52 AM GMT
आलिया भट्ट: हमें नहीं सोचना चाहिए कि फिल्म ने कितने करोड़ रुपए कमाए
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हममें कुछ कहानियों को बताने की भूख रहती है। वो तो जारी ही रहेगी।

फिल्म इंडस्ट्री में 10 साल पूरे कर रहीं आलिया भट्ट के लिए यह वर्ष कई अर्थों में खास है। इस वर्ष रणबीर कपूर के साथ परिणय सूत्र में बंधने के बाद अब वह मां भी बनने वाली हैं। उनकी फिल्म 'डार्लिंग्स' पांच अगस्त को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो रही है। इस फिल्म के साथ उन्होंने फिल्म निर्माण में भी कदम रख दिया है। इस फिल्म व अन्य मुद्दों पर आलिया भट्ट से बातचीत के अंश...


आपका डार्लिंग भी आने वाला है। मदरहुड को लेकर क्या तैयारी है?

(लजाते और मुस्कुराते हुए) पहले तो मेरा बेबी डार्लिंग्स है। मेरे प्रोडक्शन हाउस (इटरनल सनशाइन) का डेब्यू है। उसके लिए तैयारी काफी पहले से चली आ रही है। तीन साल से यह विषय हमारे पास है। पांच अगस्त को फिल्म रिलीज होगी तो काफी एक्साइटमेंट भी है और नर्वसनेस भी। गर्व का क्षण भी है, बहुत खुश भी हूं कि क्योंकि जिन्हें भी फिल्म दिखाई है वो पाजिटिव रिस्पांस दे रहे हैं। यह बहुत सरप्राइज करने वाली कहानी है जिसका मैं भी हिस्सा हूं। मेरी भी यही इच्छा है कि आडियंस भी अच्छे भाव में सरप्राइज हो। जहां तक आने वाले डार्लिंग की बात है (हंसते हुए) उसकी तैयारी तो जिंदगीभर रहेगी। मुझे लगता है कि आप कभी भी पूरी तरह तैयार नहीं होते हैं।

ट्रेलर में एक डायलाग में आपका किरदार कहता है कि 'खयालों में मारा है।' खयाली पुलाव कितना पकाती हैं?

हम क्रिएटिव लोग हैं। हम तो हमेशा खयालों में ही रहते हैं।

हिंदी सिनेमा में महिलाओं की कहानियों को पीड़ितों के नजरिए से दिखाया जाता रहा है। 'डार्लिंग्स' इससे अलग है। आपके लिए महिला सशक्तीकरण की परिभाषा क्या है?

जिस दिन पुरुष सशक्तीकरण को लेकर पूछेंगे कि आप क्या सोचते हैं तभी यह बराबरी होगी। अगर हम महिला सशक्तीकरण की बात करेंगे तो पुरुष सशक्तीकरण की भी बात करनी चाहिए। महिलाओं को पहले यह समझने और स्वीकार करने की जरूरत है कि हम अंदर से ही सशक्त हैं। मांगने और जानने में बहुत फर्क होता है।

आपके पिता महेश भट्ट ने 'डार्लिंग्स' को नेटफ्लिक्स पर रिलीज करने का सुझाव दिया था। क्या फिल्मों को रिलीज करने के प्लेटफार्म का फैसला करना आसान हो गया है?

मुझे नहीं पता कि आसान या मुश्किल क्या है। पहले तो अच्छी सी कहानी बनाओ, वो ही आसान नहीं होता है। सिनेमा और ओटीटी (ओवर द टाप) के बीच अंतर की बात ज्यादातर महामारी के दौरान शुरू हुई। अभी ओटीटी और सिनेमाघर के विकल्प आ गए हैं। 'डार्लिंग्स' के लिए नेटफ्लिक्स बेहतर माध्यम लगा। आइडिया यह है कि अब भाषा की दीवार नहीं है। हम ओटीटी के जरिए देश-विदेश का कंटेंट अपनी स्क्रीन पर देख सकते हैं। इस फिल्म का विषय यूनिवर्सल है, तो हमने सोचा क्यों न इस माध्यम पर जाएं। बतौर कलाकार मैं चाहूंगी कि मेरा काम ओटीटी के साथ सिनेमाघर में भी आए। उस सिनेमेटिक अनुभव को कभी रीप्लेस नहीं कर सकते। ओटीटी की वजह से काम के अवसर बढ़ गए हैं। वहां बाक्स आफिस का प्रेशर नहीं है।

पर कहीं न कहीं कलाकार के लिए वह प्रेशर भी जरूरी है...

10 साल बाद आपको करोड़ क्लब नहीं सिर्फ किरदार या फिल्म याद आते हैं। बहुत बार गलत सूचनाएं भी आती हैं। मैं पूछती हूं कि आपको कैसे पता चलेगा कि असली आंकड़ा क्या है। बतौर कलाकार हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि फिल्म ने कितने करोड़ रुपए कमाए। यह अच्छी बात है कि फिल्म बाक्स आफिस पर चलती है। मुझे लगता है कि आप अच्छी कहानियां पहले लाओ, सफलता और पैसा सब आ जाएगा।

रणबीर कपूर ने कहा था कि आप बहुत महत्वाकांक्षी हैं। आपकी क्या-क्या महत्वाकांक्षाएं हैं?

हर किसी के लिए महत्वाकांक्षी होने की परिभाषा अलग होती है। मुझे लगता है कि मैं बहुत रेस्टलेस (अधीर) किस्म की इंसान हूं। मुझे अपना दिमाग किसी चीज में लगाना होता है और उसे हासिल करना होता है। बतौर कलाकार हम हमेशा कुछ न कुछ सोचते रहते हैं। हममें कुछ कहानियों को बताने की भूख रहती है। वो तो जारी ही रहेगी।

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