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इस मामले में सहयोग करना चाहिए। कुछ स्टार्स ने ऐसा शुरू भी किया है।
बीते दिनों जब एक के बाद एक लगातार बॉलीवुड की 'बच्चन पांडे', 'रनवे 34', 'हीरोपंती 2', 'जयेश भाई जोरदार', 'सम्राट पृथ्वीराज', 'जुग जुग जियो', 'शमशेरा' और 'एक विलेन रिटर्न्स' जैसी फिल्में फ्लॉप हुईं। तब भी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोग निराश नहीं थे, उनका कहना था कि अभी खान स्टार्स की फिल्में बाकी हैं। जी हां, कई दशकों से बॉलीवुड पर राज कर रहे आमिर, शाहरुख और सलमान खान की फिल्मों से काफी आस बाकी थी। लेकिन रक्षाबंधन वीकेंड पर रिलीज हुई आमिर खान की फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' का बॉक्स ऑफिस पर जो हाल हुआ है। उससे इंडस्ट्री में घबराहट का माहौल है। आखिरकार खान तिकड़ी का पहला किला ढह गया है।
'सुधार करने की है जरूरत'
जबकि कुछ साल पहले आमिर की फिल्म 'दंगल' ने बॉक्स ऑफिस पर 387 करोड़ रुपए की कमाई करके नया रेकॉर्ड बनाया था। वहीं रणबीर कपूर की 'संजू' 342 करोड़ की कमाई करके बॉक्स ऑफिस पर दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन गई थी। लेकिन अब इन दोनों सितारों की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर 50 करोड़ का आंकड़ा भी नहीं छू पाईं। उधर 'लाल सिंह चड्ढा' के साथ रिलीज हुई अक्षय कुमार की 'रक्षा बंधन' का भी बॉक्स ऑफिस पर बुरा हाल है। इस बार में इंडस्ट्री के जानकार तमाम सुझाव दे रहे हैं। शाहरुख खान के साथ 'रईस' जैसी फिल्म बना चुके फिल्म डायरेक्टर राहुल ढोलकिया का बॉलीवुड की मौजूदा हालत के बारे में कहना है कि फिल्मवालों को कुछ सुधार करने की जरूरत है। बकौल राहुल, 'फिल्म इंडस्ट्री वालों को बेहतर फिल्में बनानी होंगी। फिल्मों का बजट कम करना होगा। सिनेमा टिकटों के दाम काफी कम करने होंगे। फिल्मों को ओटीटी पर कम से कम तीन महीने बाद लाना होगा और घमंड छोड़कर दूसरों की सुननी होगी। शायद इन सब चीजों से कुछ मदद मिले।'
'आखिरी फिल्म के मुताबिक हो फीस'
बॉलीवुड के चिंताजनक हालात के बारे में फिल्म प्रोड्यूसर आनंद पंडित कहते हैं, 'देखिए हर बिजनेस का अपना एक फेज आता है। पिछले ढाई साल से थियेटर बंद थे, उस दौरान लोगों ने फिल्में ओटीटी पर देखी हैं। इस वजह से अब उनकी पसंद बदली है। अब उन्हें अलग-अलग तरह की फिल्में देखनी हैं। लेकिन अभी जो ज्यादातर फिल्में आ रही हैं, उन्हें महामारी के दौरान बनाया गया था। हो सकता है कि महामारी के दौरान लोगों की पसंद थोड़ी बदली हो। दूसरी बड़ी बात ये है कि पहले कभी किसी बड़े कलाकार की फिल्म आती थी, तो उसकी ओपनिंग लगती थी। हमने इस मामले में लोगों को हल्के में लिया, जिसमें हमें मेहनत करनी चाहिए। जैसे 'भूल भुलैया 2' आई तो पसंद की गई, उसने अच्छा बिजनेस किया। ऐसा नहीं है कि दर्शक सिनेमा में आने को तैयार नहीं हैं। अच्छी फिल्में लाने में भी हमारी चूक रही है।'
'लॉकडाउन में बदला है दर्शकों का टेस्ट'
तेजी से बदल रहे इंडस्ट्री के स्वरूप के बारे में आनंद पंडित कहते हैं, 'महामारी के दौरान हर किसी ने खुद को बदला है। पहले नाश्ते में हम इडली, डोसा या परांठा खाते थे, अचानक लोगों को लगने लगा कि हमें सुबह पिज्जा और पास्ता खाना है। ओटीटी मजबूती से सामने आया है। इसके बाद निर्माता अपनी फिल्मों को रीलुक कर रहे हैं कि हमारी स्टोरी सही है या नहीं। क्या इसे सिनेमा में लाना सही होगा या फिर ओटीटी पर। सब इस दिशा में सोचने लगे हैं। मुझे लगता है कि ये तीन-चार महीने की बात हैं, उसके बाद सब ठीक हो जाएगा। कोई भी क्रिएटिविटी कॉमर्स से चलती है। अगर दो-तीन फिल्मों में किसी प्रोड्यूसर को ज्यादा नुकसान होता है, तो वो बिजनेस में से निकल जाएगा। मुझे लगता है कि स्टार्स को इस मामले में सहयोग करना चाहिए। कुछ स्टार्स ने ऐसा शुरू भी किया है।
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