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भव्य गांधी के पिता के निधन के बाद मां ने बयां किया अपना दर्द, बोलीं- 500 कॉल करने पर भी नहीं मिला था ICU बेड

Gulabi
13 May 2021 4:52 PM GMT
भव्य गांधी के पिता के निधन के बाद मां ने बयां किया अपना दर्द, बोलीं- 500 कॉल करने पर भी नहीं मिला था ICU बेड
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भव्य गांधी के पिता के निधन के बाद

टीवी के लोकप्रिय शो 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah) में सबसे लंबे समय तक टप्पू (Tappu) का किरदार निभाने वाले मशहूर अभिनेता भव्य गांधी (Bhavya Gandhi) ने हाल ही में अपने पिता विनोद गांधी को खो दिया है. उनके पिता को कोरोना हो गया था. पिछले एक महीने में तीन अलग-अलग अस्पतालों में अपने जीवन के लिए संघर्ष करने के बाद विनोद गांधी ने मुंबई स्थित कोकिलाबेन अस्पताल में अंतिम सांस ली. अब भव्य गांधी की मां यशोधा गांधी (Yashoda Gandhi) ने एक ऑनलाइन पोर्टल से बातचीत के दौरान अपना दर्द बयां किया.


यशोदा गांधी ने कहा- "मेरे पति ने पिछले साल से इस कोरोना काल में हर तरह की सावधानी बरती थी. वह न केवल सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखते थे, बल्कि उनका मास्क हमेशा लगा रहता था. वह बार-बार हाथ धोते थे, खुद को सैनेटाइज़ करते थे. फिर भी वायरस उनके पास पहुंच गया."

भव्य की मां ने सुनाई दर्द भरी दास्तां
भव्य की मां आगे कहती हैं कि एक महीने पहले उनके पति ने उन्हें बताया था कि उनकी तबियत ठीक नहीं है. इसलिए उन्होंने यशोदा को भी अपने कमरे से बाहर जाने कहा. हालांकि, उस समय उनमें कोई लक्षण नहीं थे. अगली सुबह जब वो कमरे में उन्हें देखने पहुंची तब भव्य के पापा को मामूली बुखार हो रहा था, इसलिए तुरंत उनकी पत्नी ने उन्हें बुखार की गोली दे दी.


दवाई से नहीं हुआ सुधार
बुखार की गोली देने के थोड़ी देर बाद भव्य के पिता ने उनकी मां से कहा कि उन्हें अपने सीने में दर्द महसूस हो रहा है. ये बात सुनने के बाद तुरंत उनके सीने की स्कैनिंग की गई, जिसकी रिपोर्ट में 5 प्रतिशत संक्रमण देखा गया. उस वक़्त, डॉक्टर ने उन्हें सुझाव दिया कि फ़िलहाल चिंतित होने की कोई बात नहीं है. डॉक्टर ने उन्हें घर पर ही आइसोलेट रहकर दवाइयां लेने की सलाह दी. लेकिन दो दिन तक ऐसा करने के बावजूद उन्हें राहत नहीं मिली. इसलिए भव्य के परिवार ने एक और जाने-माने चेस्ट फिजीशियन से सलाह ली, लेकिन फिर भी हालत में कोई सुधार नहीं आया.



दो दिनों में संक्रमण हुआ दोगुना
जब फिर एक बार भव्य का पिता सीटी स्कैन किया गया, तब दुर्भाग्य से उन्हें पता चला कि संक्रमण दोगुना हो गया है. तब डॉक्टर्स ने भव्य के पापा को अस्पताल में भर्ती करने के लिए कहा, लेकिन उन्हें एडमिट करने के लिए कोई अस्पताल नहीं मिला. जहां भी उनके परिवार वाले फोन कर रहे थे, सब उन्हें बीएमसी में रजिस्टर करने की सलाह दे रहे थे. कहा जाता था कि जब उनका नंबर आएगा, तब वह उन्हें फोन करेंगे.

इस पूरे अनुभव के बारे में बात करते हुए यशोदा गांधी कहती हैं- भव्य के मैनेजर की मदद से मुझे आखिरकार दादर के एक अस्पताल में मेरे पति के लिए एक बिस्तर मिल गया. जहां वह दो दिनों तक रहे और फिर वहां भी डॉक्टरों ने मुझे बताया कि उन्हें आईसीयू की जरूरत है. हमारे पास अभी के लिए आईसीयू बेड नहीं है. इसलिए, कृपया उन्हें दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करें, जिसके बाद मैंने कम से कम 500 कॉल किए.

सभी को लगाए कॉल
यशोदा ने कहा कि मैंने अस्पतालों से लेकर राजनेताओं और उनके कार्यकर्ताओं से लेकर एनजीओ तक मेरे परिचितों और परिवार के कुछ सदस्यों सभी को फ़ोन लगाया, लेकिन फिर भी उनके लिए आईसीयू बेड नहीं ढूंढ पाई. हम सभी काफी असहाय महसूस कर रहे थे. लेकिन भगवान की कृपा के कारण मेरे एक दोस्त ने आखिरकार गोरेगांव के एक छोटे से अस्पताल में आईसीयू बेड की व्यवस्था की.

बेटे और बहन को भी हुआ था कोरोना
आगे यशोदा ने कहा- "मेरे पति के साथ-साथ कुछ दिन बाद मेरे बड़े बेटे और बहू को भी कोरोना हो गया. दोनों क्वारंटीन हुए और मुझे उनकी देखभाल के लिए घर पर रहना पड़ा. भव्‍य अकेले अस्पतालों में जाकर अपने पिता का ध्यान रख रहा था. डॉक्टर ने हमें रेमेड्सविर इंजेक्शन की व्यवस्था करने को कहा. मैंने 6 इंजेक्शन के लिए 8 इंजेक्शनों की कीमत चुकाई. इसके बाद उन्होंने मुझे 'टॉक्सिन' इंजेक्शन की व्यवस्था करने के लिए कहा. मुझे यह बताना बहुत बुरा लगा रहा है कि जो इंजेक्शन हमारे इंडिया में बनती है, वो मुझे पूरे भारत में नहीं मिली."

भारत में बना हुआ इंजेक्शन दुबई से मंगवाया
उन्होंने कहा- उस इंजेक्शन को मुझे दुबई से आयात करना पड़ा. 45000 के इंजेक्शन के लिए मुझे 1 लाख का भुगतान करना पड़ा. लेकिन वह इंजेक्शन भी मेरे पति के कोई काम नहीं आया. अंत में मुझे उन्हें कोकिलाबेन अस्पताल में शिफ्ट करना पड़ा, लेकिन वे उन्हें एडमिट करने के लिए तैयार नहीं थे, क्योंकि उन्होंने कहा कि हम BMC रजिस्ट्रेशन के बिना COVID मामले नहीं ले रहे. मेरे पति बेहोश थे. जब उन्होंने उनकी हालत और हमारी स्थिति देखी, तब ICU बिस्तर दिया. जिसके बाद मेरे पति आखिरी सांस लेने से पहले 15 दिन तक वहां रहे.

23 अप्रैल को बेहोशी में आखिरी बार देखा
जब यशोदा गांधी को पूछा गया कि आखिरी बार उन्होंने अपने पति को कब देखा था. तो उन्होंने कहा कि 23 अप्रैल उन्होंने अपने पति को दूर से आखिरी बार देखा था. हालांकि तब वो बेहोश थे और अपनी पत्नी को देख नहीं पाए.


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