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यदि आप बिना किसी की मदद के बाथरूम तक खुद चलकर जा रहे हैं तो आप खुशकिस्मत हैं।'
मशहूर कमीडियन और ऐक्टर सुनील ग्रोवर (Sunil Grover) को इसी साल जनवरी महीने में हार्ट अटैक (Heart Attack) आया था। उन्हें तत्काल सर्जरी (Heart Surgery) करवानी पड़ी थी। तब शायद ही कोई ऐसा था, जिसकी धड़कन एक पल के लिए खबर सुनकर ना बढ़ी हो। अब चार महीने बाद सुनील ग्रोवर न सिर्फ पहले से बेहतर महसूस कर रहे हैं, बल्कि अपने फिटनस रूटीन को लेकर भी संजीदा हो गए हैं। सबसे ज्यादा खुशी तब हुई थी, जब सर्जरी के 25 दिन बाद ही सुनील ग्रोवर स्टेज पर फिर से सबको हंसाने के लिए लौटे। करीब डेढ़ महीने बाद उन्होंने फिल्म की शूटिंग भी शुरू कर दी। हाल ही उन्होंने अपनी फिल्म 'ब्लैकआउट' (Blackout Movie) की शूटिंग पूरी कर ली है। वह कहते हैं, 'काम शुरू हो गया है और सेट पर वापस लौटकर अब अच्छा महसूस कर रहा हूं।'
हमारे सहयोगी 'ईटाइम्स' से बातचीत में सुनील ग्रोवर ने अपने स्वास्थ्य (Sunil Grover Health Update) के बारे में भी चर्चा की है। वह कहते हैं, 'मुझे कोविड-19 हुआ था। माइल्ड सिम्पटम थे। इसके बाद ही मुझे थोड़ा अजीब महसूस होने लगा। मैंने अपने डॉक्टर से संपर्क किया, तब चेकअप के बाद उन्होंने मुझे बताया कि मेरे हार्ट में कुछ समस्या है। फिर मैंने सर्जरी करवाई। उस वक्त जो भी जरूरी था, वह किया गया। मेरा दिल वापस धड़क रहा है और मुझे सांस लेने में और ज्यादा मजा आ रहा है।'
'सर्जरी के बाद पूरी तरह बदल गया मैं'
सुनील ग्रोवर आगे कहते हैं, 'मैं अब खुद को पहले से अधिक स्वस्थ महसूस करता हूं। पहले से ज्यादा एनर्जेटिक भी।' सुनील बताते हैं कि जनवरी की इस घटना ने जिंदगी के प्रति उनका नजरिया बदल दिया। वह कहते हैं, 'सर्जरी के 15 दिन बाद मैं बड़ा ही स्वीट हो गया, ऐसा लग रहा था कि सबकी रिस्पेक्ट करूं। जिंदगी में एहसानमंद होना चाहिए। मैं यह सब बदलाव महसूस कर रहा हूं और अब अंत तक ऐसा ही रहूंगा। उस घटना के बाद मैं बदल गया।'
आप खुशकिस्मत हैं अगर आप स्वस्थ हैं
सुनील कहते हैं कि इस इंडस्ट्री में सामान्य सी बात है कि मेकअप लगाओ, कॉस्ट्यूम पहनो और कैमरे के सामने हंसते हुए परफॉर्म करो। लेकिन यहां कोई इस बात की फिक्र नहीं करता कि आप अंदर से क्या महसूस कर रहे हैं। बकौल सुनील ग्रोवर, 'आपके अंदर एक समानांतर दुनिया चल रही होत है। हम सच को भूलने की कोशिश करते हैं। यदि आप सच का सामना करना भी चाहते हैं तो हमारा रूटीन ऐसा है, काम को लेकर कमिटमेंट्स हैं, जिंदगी रेस की तरह आगे बढ़ती जाती है। ऐसे में हम जिंदगी को लेकर एहसानमंद नहीं हो पाते। हम यह महसूस ही नहीं कर पाते कि हमारे पास क्या है। यदि आपको जब प्यास लगती है तब आपको पानी मिल रहा है, यदि आप बिना किसी की मदद के बाथरूम तक खुद चलकर जा रहे हैं तो आप खुशकिस्मत हैं।'
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