दिल्ली हाई कोर्ट ने एक्ट्रेस जूही चावला को 20 लाख रुपये का हर्ज़ाना भरने के लिए एक हफ़्ते की मोहलत दी है। जूही पर 5जी वायरलेस नेटवर्क टेक्नोलॉजी के ख़िलाफ़ याचिका दायर करने के लिए क़ानून का ग़लत इस्तेमाल करने के लिए उच्च न्यायालय ने ज़ुर्माना लगाया है।
जस्टिस जेआर मिधा ने मामले को लेकर कहा कि अदालत याचिकाकर्ता के आचरण को लेकर शॉक्ड है और गरिमापूर्वक ज़ुर्माना जमा करने के लिए भी तैयार नहीं हैं। अदालत ने एक्ट्रेस की कोर्ट फीस लौटाने संबंधी तीन याचिकों पर सुनवाई के दौरान उस वक़्त यह बात कही, जब जूही चावला के वक़ील ने माफ़ी की याचिका वापस लेने के बाद कहा कि जुर्माना एक हफ़्ते या दस दिनों में जमा कर दिया जाएगा।
अदालत ने कहा कि एक तरफ़ आप ओछी याचिका दायर करते हैं, दूसरी तरफ़ याचिका वापस लेते हैं और याचिकाकर्ता सम्मान के साथ कॉस्ट जमा भी नहीं कर रहे। अदालत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि उन्होंने मामले में उदारता दिखायी और इस केस को करने के लिए अदालत की तौहीन नहीं माना। आपने कहा कि ज़ुर्माना लगाने की शक्ति कोर्ट के पास नहीं है, लेकिन कंटेम्पट की शक्ति तो है। इस पर अधिवक्ता ने कहा कि ऐसा नहीं है कि ज़ुर्माना नहीं भरा जाएगा और इसे रद्द करने के लिए भी एप्लीकेशन नहीं डाली गयी है।
बता दें, जून में हाई कोर्ट ने 5जी वायरलेस नेटवर्क सेटअप के ख़िलाफ़ जूही चावला की याचिका को रद्द कर दिया था और 20 लाख का ज़ुर्माना डाला था। कोर्ट ने याचिका को दोषपूर्ण, क़ानून का दुरुपयोग और पब्लिसिटी पाने की कोशिश बताया था।
जस्टिस मिधा ने कहा था कि 5जी नेटवर्क की वजह से स्वास्थ्य के लिए ख़तरे बताने के जो दावे किये जा रहे हैं, वो कहीं नहीं ठहरते। अदालत ने कहा था कि एक्ट्रेस और पर्यावरण कार्यकर्ता ने प्रचार के उद्देश्य से यह याचिका दायर की थी, कयोंकि उन्होंने सोशल मीडिया में सुनवाई के लिंक को सार्वजनिक किया था। इसकी वजह से अनजान शरारती तत्वों ने चेतावनी के बावजूद तीन बार व्यवधान पहुंचाया
याचिका में अधिकारियों का ताकीद करने की मांग की गयी थी कि वो बतायें, 5जी नेटवर्क से मानवों, जानवरों और दूसरे जीवित प्राणियों के स्वास्थ्य के लिए कोई ख़तरा नहीं है।