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एक्टर सूरज पंचोली का नेपोटिज्म पर फूटा गुस्सा...बोले यह बड़ी बात

Subhi
21 March 2021 3:55 AM GMT
एक्टर सूरज पंचोली का नेपोटिज्म पर फूटा गुस्सा...बोले यह बड़ी बात
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अभिनेता सूरज पंचोली इन दिनों अपनी फिल्म ‘टाइम टू डांस’ को लेकर चर्चा में हैं. इस फिल्म में सूरज के अलावा कैटरीना कैफ की बहन इसाबेल कैफ भी हैं.

अभिनेता सूरज पंचोली इन दिनों अपनी फिल्म 'टाइम टू डांस' को लेकर चर्चा में हैं. इस फिल्म में सूरज के अलावा कैटरीना कैफ की बहन इसाबेल कैफ भी हैं. सभी को पता है कि सूरज एक्टर आदित्य पंचोली के बेटे हैं. ऐसे में अब एक लंबे समय से चला आ रहा नेपोटिज्म का मुद्दा, जिस पर एक्टर ने अपनी बात रखी है. एक्टर ने बताया है कि स्टारकिड के लिए क्या मुश्किले होती हैं. सूरज ने इस दौरान खुलकर अपनी बात रखी है.

सूरज पंचोली ने कहा है कि स्टारकिड को बॉलीवुड में अपनी एक खास जगह बनाना काफी मुश्किलों से भरा होता है लेकिन उनके लिए बड़ा चैलेंज होता है सोशल मीडिया की नरफत से निपटना.

क्या कहा सूरज ने
सूरज का कहना है कि केवल बेहतर एक्टिंग और अच्छा इंसान ही इस इंडस्ट्री में टिका रह सकता है, बाकी कोई नहीं टिक पाता है. यह कई अच्छे परिवार के एक्टर्स के साथ हो चुका है. इतना ही नहीं एक्टर ने कहा है कि कभी कभी तो मुझे गुस्सा आता है कि लोगों को लगता है कि आप मेहनत नहीं करते और बस काम मिल गया है.
खास बात ये है कि ये फिल्म इंडस्ट्री सबके लिए एक समान नहीं है. यहां कुछ परिवार के लोग भी नापसंद कर देते हैं, ऐसे में कुछ भी आसान नहीं है, मुश्लिक इसलिए भी है. लेकिन आज सोशल मीडिया आगे है और इसको संभाल लिया है.हर कोई अब एक आलोचक है और नफरत एक सेकंड में फैल सकती है.

सूरज पंचोली पहलवान हवा सिंह के रोल में भी नजर आने वाले हैं. इस फिल्म का फर्स्ल लुक भी रिलीज हो चुका है. हालांकि बाकी की फिल्म से जुड़ी जानकारी सामने नहीं आई.
कौन थे हवा सिंह?
भारतीय मुक्केबाजी के क्षेत्र में हवा सिंह का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है. हवा सिंह अर्जुन पुरस्कार और द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं. वह एक दशक तक अपने भार वर्ग में भारतीय और एशियाई मुक्केबाजों पर हावी रहे.
सन 1966 और 1970 में खेलों के लगातार संस्करण में हेवीवेट श्रेणी में उन्होंने एशियाई खेलों का स्वर्ण पदक जीता. आज तक कोई भी भारतीय मुक्केबाज उनकी बराबरी नहीं कर पाया है.
इस चैंपियन मुक्केबाज ने 1961 से लेकर 1972 तक लगातार 11 सालों तक भारतीय हेवीवेट चैंपियन मुक्केबाज होने का रिकॉर्ड कायम किया. वह संभवत: दुनिया के एकमात्र ऐसे मुक्केबाज थे, जिनकी तीन पीढ़ियां इसी खेल से जुड़ी रहीं.


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