मनोज बाजपेयी ने अमिताभ बच्चन से पहली बार मिलने का वाकया शेयर किया है। मनोज ने कहा कि ये वक्त था जब उनकी फिल्म सत्या रिलीज हुई थी। डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा ने बिग बी को परिवार सहित फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग में बुलाया था। उधर अमिताभ बच्चन फिल्म देख रहे थे, इधर मनोज शराब के नशे में धुत हो गए।
मनोज ने कहा कि बिग बी के सामने खड़े होने की उनकी हिम्मत नहीं हो रही थी। हालांकि उन्होंने हिम्मत जुटाई, और अमिताभ को गले लगाने की मंशा जाहिर की। बिग बी ने भी उन्हें खुशी-खुशी गले लगा लिया।
रामू की गाड़ी में हमेशा वोडका रहता था- मनोज
मनोज बाजपेयी ने लल्लनटॉप से बात करते हुए कहा, 'मैं अमिताभ बच्चन का बचपन से फैन था। उनसे मिलने की हमेशा से इच्छा थी। मेरी फिल्म सत्या रिलीज हुई थी। डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा ने बच्चन साहब और उनकी फैमिली के लिए एक स्पेशल स्क्रीनिंग रखी थी। बिग बी के आने से पहले उनकी पुलिस वैन वहां पहुंच गई।
रामू ने उनका वेलकम किया। सभी लोग स्टूडियो के अंदर चले गए। फिल्म स्टार्ट हो गई। रामू की गाड़ी में हमेशा वोडका रहता था। उन्होंने मुझसे कहा कि चलो सेलिब्रेट करते हैं क्योंकि अमित जी अब फिल्म देखने जा चुके हैं।'
गाड़ी में बैठ कर शराब पीने लगे मनोज, तभी बच्चन साहब निकले
मनोज ने आगे कहा, 'हम लोग गाड़ी में बैठ कर शराब पीने लगे। फिल्म खत्म होने वाली थी। बच्चन साहब स्टूडियो से बाहर निकलने वाले थे। तभी रामू आए और कहा कि बाहर निकलो, अमित जी आने वाले हैं।
मैं बहुत नशे में हो गया था। मैंने उन्हें कहा कि आप जाइए मैं नहीं आ सकता। फिर खालिद मोहम्मद ने मुझे जबरदस्ती कार से बाहर धकेल दिया और गाड़ी अंदर से लॉक कर दी। मुझे समझ नहीं आया कि क्या करना है, मैं वॉशरूम चला गया।'
बिग बी के सामने खड़े होने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे मनोज
मनोज ने कहा कि बिग बी के सामने खड़े होने की उनकी हिम्मत नहीं हो रही थी। उन्होंने कहा, 'जैसे ही मैं वॉशरूम से बाहर आया। अभिषेक बच्चन मेरे पास आए और मेरे से बात करने लगे। तभी मुझे लगा कि कोई लंबा आदमी सामने आकर खड़ा हो गया।
मुझे बस उस आदमी का सीना दिखाई दे रहा था। आंख मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी, क्योंकि मुझे पता था कि सामने खड़ा इंसान अमिताभ बच्चन है। मैं एक शब्द नहीं बोल सका। मैंने उनसे बस गले मिलने की इच्छा जाहिर की। उन्होंने बिना देरी किए मुझे सीने से लगा लिया।'
'सत्या' के लिए जीता नेशनल अवॉर्ड
ये फिल्म सत्या ही थी, जिसकी वजह से मनोज आज इतने बड़े स्टार हैं। इसी फिल्म ने उन्हें सफलता की सीढ़ी प्रदान की। 1998 में रिलीज इस फिल्म को मनोज अपना असली डेब्यू मानते हैं और इसी फिल्म ने उनकी जिंदगी बदल दी। ‘भीखू म्हात्रे’ के रोल से वो पूरे देश में पहचाने गए। इस रोल के लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल अवॉर्ड भी मिला था।
'सत्या' के बाद खरीदी थी पहली कार
मनोज ने एक हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि सत्या करने के बाद वे एक्टर के रूप में स्थापित तो हो गए लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति अभी भी ज्यादा सही नहीं थी। उन्होंने कहा, 'सत्या के सात या आठ साल बाद ही मैं अपने लिए घर खरीदने में कामयाब रहा। उस वक्त तक फिल्म से आने वाले पैसों से मैं सिर्फ अपना काम चला पाता था।
सत्या करने से पहले मैं अपने लिए सिर्फ एक कार ले पाया था। हालांकि मुझे उस जिंदगी से प्यार था। मैं उस फ्रीडम को काफी ज्यादा इंजॉय करता था। जब मेरे साथ सिक्योरिटी गॉर्ड्स चलते हैं तो मुझे बोझिल लगता है।'