90 वर्षीय एक बुजुर्ग ने उम्र की परवाह किए बगैर पांचवी बार विवाह किया है. इस उम्र में भी उन्होंने बाकायदा अपनी विवाह का उत्सव भी मनाया. इस दौरान उनके नाती-पोते भी उत्सव मनाते हुए नज़र आए. शादीशुदा पोतों ने भी अपने दादाजी को विवाह की शुभकामना दी है. बुजुर्ग दूल्हे ने बोला है कि मेरी अच्छी स्वास्थ्य का राज विवाह है. यदि मौका मिला, तो वह भविष्य में और विवाह करना चाहेंगे. सऊदी अरब में रहने वाले यह बुजुर्ग अपने नए विवाह को लेकर काफी उत्साहित हैं. एक चैनल को दिए साक्षात्कार में इन्होंने अविवाहितों को खास हिदायत भी दी है, उन्होंने बोला है कि विवाह करना सुन्नत है, इसे करने में झिझक नहीं होनी चाहिए.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नासिर बिन दहैम बिन वाहक अल मुर्शिदी अल ओताबी, सऊदी अरब के सबसे उम्रदराज दूल्हे बन गए हैं. उन्होंने अफीफ प्रांत में अपनी 5वीं विवाह का उत्सव मनाया. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में लोग 90 वर्षीय इस आदमी को शुभकामना दे रहे हैं. 90 वर्षीय यह दूल्हा बहुत उत्साही और खुश दिखाई दे रहा है. उनके पोते ने वायरल वीडियो में बोला कि, ‘इस विवाह के लिए मेरे दादाजी को बधाई, आपके सुखी वैवाहिक जीवन की दुआ करता हूं.’
एक साक्षात्कार के दौरान बोलते हुए नासिर बिन दहैम ने विवाह पर अपना विश्वास और विचार व्यक्त किया. उन्होंने इसे सुन्नत बताते हुए अविवाहित लोगों को राय दी कि विवाह करना सुन्नत का हिस्सा है और बहुत महत्वपूर्ण है. बता दें कि, इस्लाम धर्म के अनुसार, पैगंबर मुहम्मद के प्रवचन, शिक्षा, मार्गदर्शन को सुन्नत कहते हैं. नासिर कहते हैं कि, ‘मैं और भी विवाह करना चाहता हूं! विवाहित जीवन सर्वशक्तिमान, संसार के स्वामी, के सामने विश्वास का कार्य और गर्व का साधन है. यह आराम, सांसारिक समृद्धि लाता है और यही मेरे अच्छी स्वास्थ्य का राज है. मैं उन युवाओं से अपील करता हूँ, जो विवाह करने में झिझकते हैं, वे धर्म के संरक्षण और एक पूर्ण जीवन जीने के लिए इसे स्वीकार करें.’
मजहब को सुरक्षित रखना है, तो सुन्नत का पालन करो:-
इसके साथ ही नासिर ने विवाह के फायदों और इससे मिलने वाली खुशी में अपने विश्वास के संबंध में भी बात की, चाहे उम्र कुछ भी हो. “मैं अपने हनीमून पर खुश हूं. शादी शारीरिक आराम और सुख है और बुढ़ापा विवाह को नहीं रोक सकता है. उन्होंने बोला कि, “मेरे बच्चों के अब बच्चे हैं और मैं अभी भी और अधिक बच्चे पैदा करना चाहता हूं.’ उन्होंने उन लोगों को भी राय दी जो विवाह नहीं करना चाहते, उन्होंने बोला कि यदि वे अपने मजहब को सुरक्षित रखना चाहते हैं, तो उन्हें सुन्नत का पालन करना चाहिए.