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गौरतलब है कि फिल्म मेकर जोया अख्तर आर्ची कॉमिक्स से प्रेरित होकर फिल्म बनाने जा रही हैं
जयप्रकाश चौकसे। गौरतलब है कि फिल्म मेकर जोया अख्तर आर्ची कॉमिक्स से प्रेरित होकर फिल्म बनाने जा रही हैं। कलाकारों के चयन की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। गोया की जोया यह जानती हैं कि बच्चों को पसंद आने वाली फिल्म लोग सपरिवार देखने के लिए जाते हैं। हमारे अधिकांश पात्रों का चरित्र चित्रण बचकाना ही होता है और कुछ मात्र कैरीकेचर बन कर रह जाते हैं। आर्ची गुड़ियाएं बाजार में बहुत बिकी हैं।
यही नहीं एक आर्ची गुड़िया के कपड़ों को लेकर विवाद का मामला भी सामने आ चुका है। बहरहाल, गौरतलब है कि आर्ची का प्रारंभ 1941 में हुआ था। उस समय दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था। भयानक युद्ध के समय निर्मल आनंद प्रदान करने वाली रचना मनुष्य के सृजन और उसमें हास्य के माद्दे को रेखांकित करती है। कोई आश्चर्य नहीं कि चार्ली चैपलिन को सिनेमा का पहला कवि माना जाता है।
आर्ची कॉमिक्स पहला पेप कॉमेंट माना गया। पेप का अर्थ मनुष्य के साहस को बढ़ाने वाला भाव होता है। इसकी रचना के समय रचयिता ने अपने समान विचार वाले लोगों का दल बनाया। इस सृजन टीम का राजनीति से कोई संबंध नहीं है परंतु वह साधनहीन पात्रों की रचना ही उनके वामपंथ की ओर झुकाव का संकेत देती है। चार्ली चैपलिन भी वामपंथी रहे इसलिए दूसरे विश्वयुद्ध के बाद मैकार्थी की योजना के अनुसार अमेरिका में वामपंथी विचार वाले खदेड़े जा रहे थे।
चार्ली को गिरफ्तार करने का आदेश जारी हुआ था। उनका अमेरिका से लंदन पहुंचना अल्फ्रेड हिचकॉक की फिल्म की तरह रोचक रहा। गौरतलब है कि कार्टून विधा में सामाजिक प्रतिबद्धता है। इस विधा की श्रेष्ठतम प्रस्तुति के सर्वकालिक रचयिता आर. के. लक्ष्मण हुए हैं। वर्तमान में लक्ष्मण के कार्टून पुनः प्रकाशित किए जा रहे हैं। परंतु उनके साथ लिखी इबारत की जगह समकालीन इबारत लिखने वालों को इनाम दिया जा रहा है। आर्ची की लोकप्रियता बढ़ने के कारण उसे पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जा चुका है।
इसके कई खंड उपलब्ध हैं। इन पात्रों की प्रेरणा से कई रचनाएं की गई हैं। राज कपूर की टेबल पर आर्ची कॉमिक्स का अंबार लगा रहता था। फिल्म 'मेरा नाम जोकर' की व्यावसायिक असफलता के बाद कई लोग उन्हें समाप्त समझ रहे थे। एक दिन राज कपूर ने आर्ची कॉमिक्स में देखा कि एक पिता अपनी कमसिन बेटी से कहता है कि 'यू आर टू यंग टू फॉल इन लव।' तुम्हारी उम्र अभी प्यार करने की नहीं है। इससे प्रेरित फिल्म 'बॉबी' का आकल्पन शुरू हुआ जो उनकी सफलतम फिल्म साबित हुई।
इस कथा को सुनकर विट्ठल भाई पटेल ने गोविंदा अभिनीत फिल्म 'दरिया दिल' के लिए लिखा है कि 'वो कहते हैं हमसे, अभी उम्र नहीं है प्यार की, नादां हैं वो क्या जाने, कब कली खिली बहार की।' आर्ची संसार में कोई गब्बर सिंह और कोई मोगेंबो नहीं है। प्राण अभिनीत पात्रों की यहां कोई गुंजाइश नहीं है। आर्ची के कस्बे के लोहकपाट नकारात्मकता के लिए बंद रहते हैं। उस कस्बे की दीवारों पर आधुनिकता अपना माथा टकरा कर लहूलुहान होती रही है।
आर्ची संसार हमें विश्वास प्रदान करता है जीवन के प्रति हमारी आस्था को संबल देता है। आर्ची का उदय हुए 80 वर्ष हो रहे हैं परंतु कोई पात्र उम्रदराज नहीं हुआ। किशोर अवस्था अपनी अलसभोर सहित कायम रही है। आर्ची संसार में तो करेला भी कड़वा नहीं है। वह वायरस मुक्त एकमात्र स्थान है। इतना ही नहीं वायरस द्वारा उत्पन्न नैराश्य को भी दूर करता है। आर्ची में थैरेप्टिक गुण है।
'चलती का नाम गाड़ी' 'अंगूर' और 'पड़ोसन' की तरह यह रचना सदाबहार बनी हुई है। ज्ञातव्य है कि जोया अख्तर की फिल्म में जावेद अख्तर गीत लिखेंगे। 'मिस्टर इंडिया' में जावेद अख्तर ने गीत में लूची- वीची जैसे बेमेल शब्दों को जोड़कर उन्हें प्राणवान और सार्थकता प्रदान की थी। अत: आर्ची प्रेरित फिल्म में वे गजब ढा सकते हैं। वर्तमान में इस तरह की फिल्म की बहुत आवश्यकता है आर्ची पृथ्वी पर ही स्वर्ग समान संसार की रचना है।
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