सम्पादकीय

आपके सौभाग्य या दुर्भाग्य के पीछे ज्यादातर तौर पर आपके विचार और व्यवहार होते हैं जिम्मेदार

Gulabi Jagat
30 April 2022 8:52 AM GMT
आपके सौभाग्य या दुर्भाग्य के पीछे ज्यादातर तौर पर आपके विचार और व्यवहार होते हैं जिम्मेदार
x
इस शुक्रवार को मेरा दोस्त उसी क्लाइंट से सातवीं बार मिलने जा रहा था
एन. रघुरामन का कॉलम:
इस शुक्रवार को मेरा दोस्त उसी क्लाइंट से सातवीं बार मिलने जा रहा था। उसके दिलो-दिमाग में बहुत ज्यादा नकारात्मकता थी। मैंने दोस्त से कहा कि खुद को लकी समझो कि इतने बड़े आदमी से सातवीं बार मिल रहे हो, अपना दाम बढ़ाओ और उसे कहो कि तुम्हारी सेवाएं लेना उसकी मर्जी है। मित्र मुस्कराकर मीटिंग में गया, कूदता हुआ लौटा और बोला, 'आज नसीब बहुत अच्छा था, तुम्हारा शुक्रिया, मुझे 10% ज्यादा मिला।' और मैंने कहा कि तुमने अपना लक खुद बनाया।
जब उसने पूछा कि लक का क्या कारण है? तो मैंने उसे ये कहानी बताई। कुछ साल पहले एक मनोवैज्ञानिक लक के बारे में जानने निकले। वह जानना चाहते थे कि क्यों कुछ लोग सही वक्त पर सही जगह होते हैं, जबकि बाकी का लक खराब बना रहता है। उन्होंने राष्ट्रीय समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर ऐसे लोगों से संपर्क करने के लिए कहा जो लगातार लकी या अनलकी महसूस करते हैं। रिसर्च के लिए कई लोग आगे आए।
इन वर्षों में उन्होंने उनका साक्षात्कार लिया, जीवन पर नजर रखी, उन्हें प्रयोगों में भाग लेने के लिए कहा। परिणामों से पता चला कि इन लोगों को अपने लक के कारणों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और 'लक फैक्टर' को लेकर भी भ्रमित थे। भाग्य संयोग से मिले अवसरों से बनता है। लकी लोगों के सामने लगातार ऐसे अवसर आते रहते हैं, जबकि अनलकी के सामने नहीं। इसलिए उन्होंने यह जानने के लिए एक प्रयोग किया कि क्या यह ऐसे अवसर खोजने की उनकी क्षमता में अंतर के कारण था।
उन्होंने तथाकथित रूप से लकी व अनलकी दोनों तरह के लोगों को एक अखबार दिया और पूछा कि इसमें देखकर बताएं कि अंदर कितनी तस्वीरें हैं। उन्होंने चुपके से बीच में एक बड़ा संदेश रखा था कि 'प्रयोगकर्ता को यह संदेश दिखाएं और 50 डॉलर जीतें।' संदेश चेहरे के सामने था, लेकिन अनलकी लोगों ने नहीं देखा। वो इसलिए क्योंकि वे लकी लोगों की तुलना में अमूमन ज्यादा तनाव में होते हैं और चिंता उनकी अप्रत्याशित चीज पर ध्यान देने की क्षमता बाधित करती है।
नतीजतन वे अवसरों से चूक जाते हैं क्योंकि वे किसी और चीज की तलाश में बहुत फोकस्ड होते हैं। वे पार्टियों में परफेक्ट साथी की खोज में रहते हैं और अच्छे दोस्त बनाने के अवसर चूक जाते हैं। अखबारों में चुनिंदा नौकरियों के विज्ञापन खोजते हैं बाकी नौकरियों से चूक जाते हैं। लकी लोग सुकून से खुले दिमाग के होते हैं और बजाय इसके कि वे क्या खोज रहे हैं, बाकी चीजें देखते हैं और अवसर लपक लेते हैं। शोध से पता चला कि चार सिद्धांतों से अच्छा भाग्य बना सकते हैं।
1. वे संयोग से मिले अवसरों पर ध्यान देकर उन्हें भुनाने में महारती होते हैं। 2. अंदर की आवाज सुनकर लकी निर्णय लेते हैं। 3. सकारात्मक उम्मीदों से खुद पूरी कर सकने वाली भविष्यवाणी करते हैं। 4. लचीला एटीट्यूड रखते हैं, जो कि बैडलक को अच्छे में बदल सके।
आखिर में उन्होंने सोचा कि क्या इन सिद्धातों से वाकई अच्छा नसीब बन सकता है। उन्होंने वॉलेंटियर्स से कहा कि जब वे काम पर निकलें तो सोचें और भाग्यशाली लोगों की तरह व्यवहार करें। इसके बहुत अच्छे परिणाम रहे! लकी लोग और ज्यादा लकी हो गए और अनलकी लकी बन गए। आखिर में उन्हें 'लक फैक्टर' को लेकर चार टिप मिले।
1. अपने अंदर की आवाज सुनें, यह अमूमन सही होती है। 2. नए प्रयोगों को लेकर खुले रहें, सामान्य रुटीन तोड़ें। 3. हर दिन जो चीजें अच्छी गुजरें, उन्हें याद करते हुए कुछ पल बिताएं। 4. किसी महत्वपूर्ण मीटिंग या फोन से पहले खुद की लकी इंसान के तौर पर कल्पना करें।
फंडा यह है कि आपके सौभाग्य या दुर्भाग्य के पीछे ज्यादातर तौर पर आपके विचार और व्यवहार जिम्मेदार होते हैं। इसलिए जब काम पर निकलें तो सकारात्मक रहें।
Next Story