सम्पादकीय

अपने बच्चे का नाम कुछ भी रख सकते हैं, पर सैफ़-करीना आपको आक्रांताओं के नाम ही क्यों लुभाते हैं?

Gulabi
10 Aug 2021 11:12 AM GMT
अपने बच्चे का नाम कुछ भी रख सकते हैं, पर सैफ़-करीना आपको आक्रांताओं के नाम ही क्यों लुभाते हैं?
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अपने बच्चे का नाम कुछ भी रख सकते हैं

बॉलीवुड स्टार सैफ अली खान (Saif Ali Khan) और करीना कपूर (Kareena Kapoor) हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के टॉप लोगों में शुमार होते हैं. करीना कपूर तो कई साल तक नंबर वन की पोजिशन पर रहीं हैं. वहीं सैफ भी तीन सुपर खानों के बाद चौथे स्थान के लिए संघर्ष करते रहे हैं. यानि कि हिंदुस्तान में इन सितारों की लोकप्रियता किसी धर्म-समुदाय या क्षेत्र तक में सीमित नहीं रही है. फिर भी इस स्टार कपल ने अपने बच्चों के नाम रखने में ऐसी गलती क्यों कि जिससे देश का एक हिस्सा या उनके फैंस का एक हिस्सा दुखी महसूस हो. यह बात सही है कि अपने बच्चों का नाम रखना निहायत व्यक्तिगत होना चाहिए. हर शख्स का अधिकार है कि वह अपने बच्चे का नाम अपनी पसंद से रख सके, पर सेलेब्रिटी किसी भी देश या समाज में व्यक्तिगत नहीं रह जाते. उन्हें हर कदम पर यह सोचना होता है कि उनकी छोटी सी गलती से लाखों लोगों की भावनाएं आहत हो सकती हैं.


सैफ अली खान की चौथी संतान के नाम का खुलासा करीना कपूर की प्रेग्नेंसी पर आई उनकी किताब से हुआ है. आमिर खान की फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' की अभिनेत्री ने इस पुस्तक में बताया है कि शूटिंग के दौरान किस तरह उन्होंने परिवार व काम के बीच संतुलन बिठाया. दरअसल इस फिल्म की शूटिंग के समय करीना कपूर खान गर्भवती थीं. इसी किताब में एक फोटोग्राफ के कैप्शन में उन्होंने अपने दूसरे बेटे को 'जहांगीर' कह कर सम्बोधित किया है. हालांकि इसके पहले करीना के पिता रणधीर कपूर ने अपने नाती का नाम जेह बताया था. अब समझ में आया कि जेह जहांगीर का ही शॉर्ट फार्म है. जहांगीर का नाम भी मुगल इतिहास में एक क्रूर शासक के रूप में दर्ज है. इसके पहले भी सैफ करीना के पहले संतान का नाम दुर्दांत आतताई तुर्क- मंगोल आक्रमणकारी तैमूर लंग के नाम पर तैमूर अली खान रखने के चलते ये कपल विवादों में आ गया था.


मुगल सम्राट जहांगीर का नाम सिखों के 5वें गुरु को यातना देकर मारने के लिए कुख्यात है
गुरु अर्जुनदेव सिखों के पांचवें गुरु थे. बताया जाता है कि लाहौर में मुगल बादशाह जहांगीर ने उन्हें मरने से पहले घोर शारीरिक यातनाएं दी थीं. 30 मई 1606 में लाहौर में बादशाह जहांगीर ने भीषण गर्मी में यासा व सियास्त कानून के तहत ( इसके अनुसार किसी व्यक्ति का रक्त धरती पर गिराए बिना उसे यातनाएं देकर मारा जाता था) गुरु अर्जुन देव को गर्म तवे पर बिठाकर शहीद किया गया था. स्वर्ण मंदिर की आधारशिला रखने वाले और गुरुग्रंथ साहिब का संपादन करने वाले गुरु अर्जुनदेव अपने शांत स्वभाव और अपनी मृदु वाणी के लिए मशहूर थे. शहजादा खुसरो को शरण देने के चलते जहांगीर उनसे नाराज था. जहांगीर पर अपनी पत्नी के पहले पति शेर अफगान की हत्या कराने का भी आरोप था.

तैमूर नाम रखने पर भी हुआ था विवाद
सैफ अली खान और करीना कपूर की पहली औलाद 2016 में पैदा हुई थी. उन्होंने अपनी इस संतान का नाम तैमूर अली खान रखा था. इतिहास में तैमूर अली खान एक तुर्क-मंगोल आक्रांता था. इतिहास में तैमूर का नाम भारत आकर भयंकर खून खराबा करने और लूटपाट करने के लिए कुख्यात है. उसके भारत आक्रमण के दौरान महिलाओं की इज्जत के साथ खिलवाड़ किया गया, यहां तक बच्चे भी नहीं बक्शे गए. इतिहास में कुख्यात इस लुटेरे के नाम पर अपने बच्चे का नाम रखने के लिए ,सैफ और करीना की खूब आलोचना हुई थी. दोनों ने अपने इस फैसले का बचाव के लिए कई तर्क रखे थे.
एनडीटीवी से बातचीत में उस दौरान सैफ अली खान ने बताया था कि पूरी दुनिया में इस्लाम को लेकर एक डर है. मैं अपने बेटे का नाम अलेक्जेंडर नहीं रख सकता और असल में मैं उसे राम भी नहीं बुला सकता. इसलिए मैंने उसे एक अच्छा मुस्लिम नाम दिया. और उसे धर्मनिरपेक्षता की भावनाओं के साथ बड़ा करूंगा जहां हम एक दूसरे को प्यार करते हैं और इज्जत करते हैं. सैफ ने यह भी कहा कि मैं इतिहास के बारे में जानता हूं लेकिन इस वजह से मैंने अपने बेटे का नाम तैमूर नहीं रखा है. उस क्रूर शासक का नाम तिमूर था. वैसे भी एक नाम से कुछ फर्क नहीं पड़ता. अशोक भी एक हिंसक नाम है और अलेक्जेंडर भी इसी तरह का नाम है.

तैमूर वाली गलती सुधारने का मौका था पर नहीं किया
अपने दूसरे बच्चे का भी नाम एक कुख्यात शासक के नाम पर रखने के बाद यह आरोप तो लगेंगे ही कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि सैफ और करीना जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं. क्योंकि गलती एक बार होती है, बार-बार होने वाले कार्य को गलती नहीं मानते. और जिस बात के लिए विवाद हो चुका हो फिर उसी तरह की कृत्य करने पर यह आरोप तो लगेगा ही कि उन्होंने बहुसंख्यक लोगों की भावनाओं का सम्मान नहीं किया. अगर उन्हें मुगल शासकों का ही नाम रखना था तो वे अकबर भी रख सकते थे. अकबर को तो भारतीय ही नहीं विश्व इतिहास में महान कहा जाता है. अकबर सर्वधर्म समभाव वाला शासक ही नहीं था बल्कि उसका शासन काल सर्वोत्तम काल के रूप में याद किया जाता है.

बच्चों के नाम पॉजिटिव ही रखे जाते हैं
चाहे कोई भी धर्म हो, बच्चों के नाम पॉजिटिव वाइब्स देने वाले शब्दों और शख्सियतों पर ही रखे जाते हैं. भारत में करीब 25 करोड़ मुसलमान हैं पर ढूढ़ने पर भी औरंगजेब, बाबर और तैमूर अपने बच्चों का नाम कोई नहीं रखता है. कम से कम पढ़े लिखे मुसलमान परिवारों में तो कभी भी ऐसे नाम नहीं देखे गए हैं. हिंदुओं में भी किसी आतताई हिंदू राजा के नाम पर अपने बच्चों का नाम नहीं रखा जाता. फिल्मी सितारों और क्रिकेट सितारों के नाम पर बच्चों का नाम रखने का रिवाज बहुत पुराना है. राजेंद्र कुमार, राजकुमार, देव, विनोद, अमिताभ, शशि, राजेश नाम बहुतायत में मिल जाएंगे. पर इन्हीं के समकालीन अपने जमाने के मशहूर खलनायक प्राण के नाम से किसी ने भी अपने बच्चे का नामकरण नहीं किया. यहां तक की पाकिस्तान में भी तैमूर या जहांगीर नाम लोकप्रिय नहीं है.

सैफ इसके पहले मुस्लिम लोगों के साथ भेदभाव का आरोप लगाते रहे हैं
सैफ अली खान ने एक बार मीडिया को बताया था कि उन्हें मुंबई में मन मुताबिक फ्लैट खरीदने में बहुत दिक्कतें आईं थीं. उनका कहना था कि उन्होंने इस तरह की समस्या से बचने के लिए एक मुस्लिम बिल्डर से घर खरीदा. सैफ अली खान ने कई बार इस तरह की बातें की जिससे ये जाहिर होता रहा है कि मुसलमान होने के चलते उनके साथ भेदभाव हुआ है. पर यह भी एक तथ्य है कि सैफ बॉलीवुड में एक सफल सितारे हैं, अगर भारत में ऐसा होता तो वे कभी सुपर सितारों में शामिल नहीं हो पाते. खुद उन्हें और उनके पिता को हिंदू लड़कियों ने पसंद किया और शादी की है और इस बात को लेकर कभी देश में मुद्दा नहीं बना. उनके पिता मंसूर अली खान पटौदी को भारतीय क्रिकेट टीम की कैप्टनशिप भी मिली. पूरे देश में जनता उन्हें पसंद करती थी. हर समाज में कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनकी सोच नकारात्मक होती है. पर किसी भी घटना के लिए किसी एक पूरे समुदाय को जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं होना चाहिए.
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