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उत्तर प्रदेश में ज्ञानवापी वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही ईदगाह से लेकर ताजमहल तक का मुद्दा गर्मा आ रहा है
यूसुफ़ अंसारी |
उत्तर प्रदेश में ज्ञानवापी वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही ईदगाह से लेकर ताजमहल तक का मुद्दा गर्मा आ रहा है. मुसलमानों के खिलाफ नफरत का माहौल बनाया जा रहा है. इस बीच योगी सरकार के एकमात्र मुस्लिम मंत्री दानिश आजाद ने पसमांदा मुसलमानों और सरकार के बीच एक सेतु बनाने की क़वायद शुरू कर दी है. शुक्रवार को लखनऊ के गांधी भवन में ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ की तरफ से आयोजित ईद मिलन कार्यक्रम में दानिश आजाद ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. कार्यक्रम में उन्होंने योगी सरकार की तरफ से पसमांदा मुसलमानों के विकास की गारंटी देकर इस क़वायद की शुरुआत की.
पसमांदा समाज के हीरो बने दानिश
मंत्री बनने के बाद दानिश आजाद अंसारी पहली बार पसमांदा मुसलमानों के किसी कार्यक्रम में शामिल हुए. इस कार्यक्रम में पूरे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और दिल्ली से आए माल से जुड़े लोगों ने दानिश अंसारी का तहे दिल से स्वागत किया दानिश अंसारी के साथ खड़े होकर फोटो खिंचवाने और उनसे मिलने की ऐसी होड़ थी कि देखने में लगी नहीं रहा था कि यह मुसलमान उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के किसी मंत्री के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में आए हैं. आमतौर पर बीजेपी के कार्यक्रमों में मुसलमानों की मौजूदगी ना के बराबर होती है. लेकिन गांधी भवन में आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में हाल खचाखच भरा हुआ था. कार्यक्रम में शामिल होने दूरदराज से आए मुस्लिम नौजवान दानिश आजाद के साथ इस तरह फोटो खिंचवा रहे थे और और सेल्फी ले रहे थे जैसे वो वो कोई फिल्म स्टार हों.
मुसलमानों के विकास का भरोसा
कार्यक्रम में मिले सम्मान से गदगद दानिश आज़ाद अंसारी ने भी गारंटी दे डाली कि पसमांदा मुसलमानों के विकास के लिए वो पूरी जान लड़ा देंगे. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके जैसे मामूली पार्टी कार्यकर्ता को मंत्री बनाकर एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. ऐसा करके उन्होंने मुस्लिम समाज और खासकर पसमांदा मुस्लिम समाज के प्रति अपने प्रेम का प्रदर्शन किया है. अब मुसलमानों की जिम्मेदारी बनती है कि वह भी योगी सरकार का समर्थन करें और सरकार की तरफ से चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का भरपूर फायदा उठाएं. दानिश के यह कहने पर वहां मौजूद मुस्लिम समाज की तरफ से जोरदार तालियां बजाकर इसका स्वागत किया गया. इस बात का संकेत है कि बस पसमांदा मुसलमान भी योगी सरकार के साथ संवाद का रास्ता खुला रखना चाहते हैं.
पसमांदा मुसलमानों के लिए लाभकारी बजट
इस मौके पर दानिश ने योगी सरकार के बजट में अल्पसंख्यक को और खासकर मुस्लिम समाज के विकास के लिए किए गए प्रावधानों का खुलकर बखान किया. उन्होंने कहा कि छात्रवृत्ति से लेकर मदरसों के आधुनिकीकरण तक जो भी फायदा पहुंच रहा है वह ज्यादातर पसमांदा मुसलमानों को ही पहुंच रहा है. दानिश ने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार की 'ओडीओपी' यानि एक 'जिला एक प्रोडक्ट' योजना से भी पसमांदा मुसलमानों को ही फायदा हो रहा है क्योंकि भदोही में कालीन के काम से लेकर बनारस में साड़ी के काम तक मुरादाबाद में पीतल, फिरोजाबाद में कांच व चूड़ियां और सहारनपुर में लकड़ी की नक्काशी के काम में ज्यादातर पसमांदा मुसलमान ही जुड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने अब तक का सबसे बड़ा 6.15 करोड से ज्यादा का बजट पेश किया है. यह प्रदेश का प्रकाश सबसे बड़ा बजट है. इसमें अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिम समाज के स्थानीय लिए भी अब तक सबसे ज्यादा धनराशि आवंटित की गई है. उन्होंने कहा कि योगी सरकार समाज के दबे कुचले तबकों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है. पसमांदा मुसलमान भी इसी दायरे में आते हैं. लिहाजा योगी सरकार उनके विकास के लिए भी उतनी ही प्रतिबद्ध है जितनी वह दूसरे समाज के प्रति है.
योगी सरकार और मुसलमानों के बीच जमी बर्फ पिघलने की उम्मीद
कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के ज़िला बिजनौर के चांदपुर से आए 'पसमांदा फ्रंट' के राष्ट्रीय महासचिव शमीम अंसारी ने कहा, 'किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार और किसी समुदाय विशेष के बीच लगातार 36 का आंकड़ा और तनाव बना रहना उस समाज और सरकार दोनों के लिए अच्छा नहीं है. लोकतंत्र में संवाद के रास्ते हमेशा खुले रहने चाहिए. हमारा संगठन पसमांदा मुसलमानों और योगी सरकार के बीच संवाद स्थापित करने की कोशिश कर रहा है. इसके तहत योगी सरकार के बारे में फैलाई जाने वाली गलतफहमियों को पसमांदा समाज के बीच दूर करने के लिए विशेष मुहिम चलाएगा. साथ ही पसमांदा मुसलमानों के बुनियादी मुद्दों और समस्याओं के समाधान के लिए योगी सरकार के एकमात्र मंत्री दानिश आज़ाद अंसारी के जरिए मुख्यमंत्री तक अपनी बात पहुंचाएगा. इस तरह दानिश योगी सरकार और पसमांदा मुसलमानों के बीच एक सेतु का काम करेंगे. यह कार्यक्रम योगी सरकार और मुसलमानों के बीच जमी बर्फ को पिघलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. सरकार और पसमांदा मुस्लिम समाज के बीच रिश्ते सुधारने में इस कार्यक्रम की भूमिका मील का पत्थर साबित होगी.'
दलित एक्ट की तर्ज पर 'मापा' की मांग
कार्यक्रम में शिरकत करने का गाजियाबाद से पहुंचे 'जस्टिस फाउंडेशन ऑफ इंडिया' के राष्ट्रीय संयोजक एडवोकेट ज़ाहिद ताज में दो टूक लहजे में कहा कि वो 500 किलोमीटर चलकर सिर्फ मंत्री जी स्वागत करने और उनका भाषण सुनने नहीं आए हैं. बल्कि वो मुसलमानों और खासकर पसमांदा मुसलमानों के साथ हो रही ज्यादतियों की तरफ ध्यान खींचने और उनके समाधान के लिए ठोस कदम उठाने की मांग करने आए हैं. उन्होंने दानिश आजाद से उत्तर प्रदेश में दलित एक्ट की तर्ज पर अल्पसंख्यकों पर अत्याचार विरोधी अधिनियम लाने की मांग की. उन्होंने कहा कि जस्टिस फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने इस विधेयक का एक ड्राफ्ट तैयार किया है. इसका नाम 'माइनॉरिटीज़ एट्रोसिटीज़ प्रीवेंशन एक्ट (MAP) है. सभी राज्य सरकारों को इसे ड्राफ्ट देकर उनसे गुजारिश की जाएगी कि वह इन्हें विधानसभा में पास करा कर बाकायदा कानून बनाएं. इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश से की जाएगी. देशभर में इस पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. दानिश ने इसे अच्छी पहल बताते हुए मुख्यमंत्री तक यह ड्राफ्ट पहुंचाने और इसे विधानसभा के पास कराने पर के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश करने का भरोसा दिलाया.
पसमांदा मुसलमानों का दानिश को फुल सपोर्ट
सम्मेलन में यह बात भी कही गई कि दानिश आजाद उत्तर प्रदेश में बीजेपी की तरफ से बनाए पसमांदा मुस्लिम समाज की नुमाइंदगी करने वाले पहले मंत्री हैं. हालांकि इससे पहले समाजवादी पार्टी और बसपा की सरकार में भी इस समाज के मंत्री रहे हैं. लेकिन मंत्रिमंडल में उनकी कोई हैसियत नहीं थी. डेढ़ दशक पहले 'मुसलमानों में जात पात' नाम से किताब लिखकर तहलका मचाने वाले मसूद आलम फलाही ने कहा कि दानिश आजाद का मंत्री बनना इस बात का सबूत है कि मुस्लिम समाज में सबसे ज्यादा आबादी वाले पसमांदा समाज की राजनीतिक ताकत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि दानिश के मंत्री बनाए जाने के बाद अशरफिया तबके के मुसलमानों ने उनके खिलाफ मुहिम चलाई. सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ अभद्र भाषा के साथ-साथ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया गया. वही नूरुल एन ज़िया ने कहा कि दानिश आजाद की अहमियत इसलिए भी ज्यादा बढ़ गई है कि उन्हें अशराफिया तबके के मंत्री को हटाकर मंत्री बनाया गया है. इसलिए उन पर इस समाज के लिए पूरी जान लड़ा कर काम करने की जिम्मेदारी भी आ गई है.
पसमांदा मुसलमानों पर बदली बीजेपी की सोच
गौरतलब है कि बीजेपी में शुरू से ही अगड़े तबके के मुसलमानों का दबदबा रहा है. लेकिन मोदी सरकार आने के बाद पसमांदा मुसलमानों को भी तवज्जो मिल रही है. पहले जहां बीजेपी में केंद्र में सिकंदर बाग, मुख्तार अब्बास नकवी और सैयद शाहनवाज हुसैन जैसे नेताओं का वर्चस्व था. वहीं उत्तर प्रदेश से पहले एजाज रिजवी और योगी सरकार में मोहसिन रजा और वसीम रिजवी के रूप में शिया मुसलमानों का वर्चस्व था. लेकिन दूसरी बार योगी सरकार बनने के बाद मोहसिन रजा के की जगह दानिश आजाद अंसारी को मंत्री बनाया गया. यह मुसलमानों को लेकर बीजेपी की सोच में बुनियादी बदलाव था. बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में भी पसमांदा मुसलमानों को ध्यान में रखकर मुस्लिम वोट करने की रणनीति बनाई थी और उस पर अमल भी किया था और शायद यही वजह रही कि उसे प्रदेश में 10% मुसलमानों ने वोट दिया है. इनमें ज्यादातर केंद्र और प्रदेश सरकार की जानकारी का कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थी हैं. इन सभी का ताल्लुक पसमांदा समाज से हैं. शायद यही वजह है कि बीजेपी ने इस बार उसे वोट देने वाले मुस्लिम समाज के पसमांदा समाज की नुमाइंदगी करने वाले दानिश आज़ाद को मंत्री बनाया.
ज़ाहिर है कि बीजेपी अपने राजनीतिक फायदे के लिए मुस्लिम समाज के बड़े हिस्से पसमांदा मुसलमानों को साथ लेने की कोशिश कर रही है. अगर दानिश आजाद बीजेपी के हक़ में पसमांदा मुसलमानों को लाने में कामयाब हो जाते हैं तो ये उनकी बड़ी कामयाबी होगी. इससे पार्टी संगठन और सरकार में उनका खुद का क़द भी काफी बढ़ सकता है और अगले सभा और विधानसभा चुनावों में बीजेपी को ज़बर्दस्त फायदा मिल सकता है. यह सब इस पर निर्भर करेगा कि योगी सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मूल मंत्र 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास सबका प्रयास' पर चलते हुए पसमांदा मुसलमानों का विश्वास जीतने में कितना कामयाब रहती है. साथ ही इस बात पर भी निर्भर करेगा कि पसमांदा मुसलमान योगी की तरफ कितने कदम आगे बढ़ कर कितना साथ देते हैं.
सोर्स- tv9hindi.com
Rani Sahu
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