- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- योगी का इरादा, सही या...
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोच-समझ कर जोखिम लेते दिख रहे हैं। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से अगर सचमुच उनका टकराव है और वे शीर्ष नेतृत्व की इच्छा के विपरीत अपने चेहरे पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं लेकिन यह कैलकुलेटेड रिस्क है। वे राजनीतिक और चुनावी पहल अपने हाथ में रखना चाहते हैं और अपने चुने हुए मैदान पर अपने नियमों और शर्तों के साथ लड़ना चाहते हैं। यह अच्छी सोच है। हर महत्वाकांक्षी और साहसी नेता अपनी भविष्य की योजनाओं पर इसी तरह से अमल करता है। अगर भाजपा की ही राजनीति के संदर्भ में देखें तो कह सकते हैं कि 20 साल पुराना इतिहास दोहरा रहा है। कोई 20 साल पहले इसी तरह का टकराव गुजरात के तब के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के तब के सर्वोच्च नेता, प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बीच दिखा था। तब वाजपेयी ने मोदी को राजधर्म निभाने की सलाह दी थी और मोदी ने इस पर ध्यान देने की कोई जरूरत नहीं समझी थी। हालांकि बाद में उन्होंने इस्तीफे का प्रस्ताव दिया, लेकिन वह एक दिखावा था, प्रधानमंत्री पद की गरिमा के लिए फेस सेविंग था।