सम्पादकीय

योगी का बुलडोजर मॉडल मध्य प्रदेश में शिवराज की राह कर पाएगा आसान?

Rani Sahu
22 March 2022 6:10 PM GMT
योगी का बुलडोजर मॉडल मध्य प्रदेश में शिवराज की राह कर पाएगा आसान?
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उत्तरप्रदेश में लगातार दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के साथ-साथ उनके बुलडोजर मॉडल (Bulldozer Model) को भी जीत का श्रेय दिया गया

दिनेश गुप्ता

उत्तरप्रदेश में लगातार दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के साथ-साथ उनके बुलडोजर मॉडल (Bulldozer Model) को भी जीत का श्रेय दिया गया. योगी के बुलडोजर में कई भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री अपनी जीत की संभावनाएं भी तलाश रहे हैं. 2013 में सुशासन और जनहितैषी नीतियों की लोकप्रियता पर विधानसभा चुनाव जीतने वाले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (MP CM Shivraj Singh) भी बुलडोजर मॉडल से अपनी राह की बाधाएं हटाने की कोशिश में जुट गए हैं. शिवराज सिंह चौहान भाजपा में अकेले ऐसे नेता हैं, जिनका मुख्यमंत्री के पद पर लंबा कार्यकाल है. उनका कार्यकाल हर दिन एक नया रिकार्ड भी बनता जा रहा है
प्रदेश में अगले साल अक्टूबर माह में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा की सरकार बनाए रखने की राह में सबसे बड़ी चुनौती लोकप्रिय योजनाओं की कमी और सुशासन में निरंतरता को माना जा रहा है. राज्य में दो दलीय व्यवस्था है. इस व्यवस्था में कांग्रेस अथवा उसके नेता बड़ी चुनौती नहीं हैं. कांग्रेस में चौहान के मुकाबले में कोई दूसरा बड़ा नेता भी नहीं हैं. दरअसल वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा लगातार चौथी बार सरकार नहीं बना पाई थी तो इसकी बड़ी वजह वोटर में परिवर्तन की चाह को माना गया. एट्रोसिटी एक्ट को लेकर जातीय संघर्ष ने भी नुकसान पहुंचाया. भाजपा को सरकार बनाने के लिए जरूरी सीटें न मिलने के बाद भी उसे मिले कुल वोट कांग्रेस से ज्यादा थे.
कोरोना से मुकाबले में निकल गया शिवराज सरकार का आधा कार्यकाल
वर्ष 2003 से पहले तक कभी भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाती थी. लेकिन, चौहान के नेतृत्व में लगातार तीन बार सरकार बनाने का रिकार्ड भी भाजपा ने बनाया. मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों के दलबदल करने के कारण शिवराज सिंह चौहान को चौथी बार मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला. सरकार का आधा कार्यकाल कोरोना संक्रमण से मुकाबले में निकल गया है. शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रिय योजनाओं पर भी इसका साफ असर दिखाई दिया है. चौहान की दो सबसे लोकप्रिय योजनाओं का अमल कई राज्य सरकारों ने किया है. ये लाडली लक्ष्मी और तीर्थ दर्शन योजना है. कमलनाथ सरकार के नेतृत्व में बनी कांग्रेस सरकार ने इन योजनाओं का क्रियान्वयन रोक दिया था. कोरोना के बाद हालात सामान्य होने के बाद इन दोनों योजनाओं के क्रियान्वयन में गति आने की संभावना है.
बुलडोजर मामा की छवि में है जीत का रास्ता?
शिवराज सिंह चौहान को मामा के रूप में लोकप्रिय करने वाली योजना लाडली लक्ष्मी है. इस योजना को वर्ष 2007 में शुरू किया गया था. लाडली लक्ष्मी योजना 2.0 भी सरकार ले आई है. इस योजना के तहत कॉलेज में प्रवेश पर पच्चीस हजार रुपए की राशि स्कॉलरशिप के रूप में दिए जाने का फैसला सरकार ने लिया है. लड़कियों की मेडिकल और इंजीनियरिंग की फीस भी सरकार भरेगी. लड़कियों को इस योजना का लाभ भी दो साल बाद ही मिलना शुरू होगा. लेकिन, मुख्यमंत्री चौहान योजना के जरिए अपने वोट बैंक को पकड़कर रखना चाहते हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में महिला वोटर भाजपा के पक्ष में ज्यादा दिखाई दिया था. मामा की इस छवि के साथ बुलडोजर को भी जोड़ दिया गया है. राजधानी भोपाल में स्थानीय विधायक रामेश्वर शर्मा द्वारा लगाए गए होर्डिंग में शिवराज सिंह चौहान को बुलडोजर मामा का नाम दिया गया है. इस नामकरण की वजह सरकार द्वारा अपराधियों के ठिकानों पर चलाया जा रहा बुलडोजर है. शहडोल में नाबालिग से बलात्कार के आरोपी के घर सोमवार को ही प्रशासन ने बुलडोजर चला दिया. इससे पहले रायसेन जिले में एंटी माफिया अभियान के तहत सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया. श्योपुर में भी बलात्कार के आरोपी का मकान तोड़ा गया. राज्य के दर्जन भरों जिलों में बुलडोजर चलाए जाने की घटनाओं से लगता है कि मुख्यमंत्री चौहान अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में अपना रास्ता साफ करने के लिए योगी मॉडल पर आगे बढ़ रहे हैं.
बाबूलाल गौर को मिला था बुलडोजर लाल का नाम
मध्यप्रदेश के लिए बुलडोजर मॉडल नया नहीं है. नब्बे के दशक में भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार में बुलडोजर की काफी चर्चा हुई थी. सुंदरलाल पटवा राज्य के मुख्यमंत्री थे. बाबूलाल गौर उनके मंत्रिमंडल में नगरीय विकास मंत्री थे. राज्य के बड़े शहरों के सौंदर्यीकरण और सड़कों को चौड़ा करने के लिए उन्होंने सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए बुलडोजर चलाया था. इसके कारण गौर को बुलडोजर लाल का नाम भी मिला था. सुंदरलाल पटवा उन्हें बुलडोजर मंत्री भी कहते थे. बाबूलाल गौर द्वारा चलाए गए बुलडोजर का समर्थन भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने भी किया था. उनकी अतिक्रमण विरोधी मुहिम कई ऐतिहासिक स्थल भी लोगों के सामने आए थे. इंदौर का राजवाड़ा भी गौर ने ही अतिक्रमण से मुक्त कराया था. बुलडोजर ने गौर को राजनीतिक ऊंचाइयां दी. वे राज्य के मुख्यमंत्री भी बने. उत्तरप्रदेश के चुनाव परिणाम से यह संदेश भी साफ है कि अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही को जन समर्थन मिलता है. साथ ही अपराधियों पर भी दबाव बनता है.
Rani Sahu

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