- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- विकास, कल्याण और...
डा. रहीस सिंह।
अर्थव्यवस्था में विकास अथवा ग्रोथ एक बहुत महत्वपूर्ण फैक्टर होता है। लेकिन वैश्वीकरण और मुक्त अर्थव्यवस्था का एक दशक बीतने के बाद ही विश्व बैंक के अर्थशास्त्रियों ने कहना शुरू कर दिया था कि विकास केवल तीव्र ही नहीं, समावेशी भी होना चाहिए। इसका सीधा सा मतलब था कि विकास केवल ऊपर से नहीं, बल्कि नीचे से भी होना चाहिए। विश्व बैंक ने इसकी तरफ ध्यान आकर्षित तो किया था, लेकिन देश के अंदर इसके लिए कार्य संस्कृति विकसित करना सरकारों की संवेदनशीलता पर निर्भर करता था। क्या ऐसा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जैम ट्रिनिटी के लागू होने से पहले हो पाया था? स्पष्टत: नहीं। क्या 2017 से पहले उत्तर प्रदेश में अर्थव्यवस्था के ऐसे माडल का विकास हो पाया था जिसमें सुरक्षा, शिक्षा, स्वावलंबन, विकास, रोजगार और खुशहाली, एक साथ सुनिश्चित हुए हों। बिना किसी संशय के नहीं, क्योंकि इससे पहले नेतृत्व के विजन में वे विशेषताएं प्रभावी थीं जिनका सरोकार मध्यकाल के नकारात्मक प्रत्ययों से अधिक था, इसलिए उस दौर में लोककल्याण या ईज आफ लिविंग जैसी व्यवस्था की कल्पना भी मुश्किल थी। मार्च 2017 के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश को सुरक्षा और तीव्र व समावेशी विकास के साथ-साथ हैपीनेस व ईज आफ लिविंग जैसी विशेषताओं के साथ आगे ले जाने की रणनीति बनाई। इसी का परिणाम है कि प्रदेश की छवि बदली है और लोगों में नया आत्मविश्वास देखने को मिल रहा है।