- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- सुखमय संसार का आधार...
भूपेंद्र सिंह | योग संपूर्ण स्वास्थ्य का विज्ञान है। यह हिंदू जीवन दृष्टि का शोध और बोध है। यह विश्व मानवता को भारत का श्रेष्ठतम उपहार है। आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है। इस बार आयोजन की थीम 'योग फॉर वेल बींग' रखी गई है। स्वस्थ मन, स्वस्थ शरीर आनंदपूर्ण जीवन के आधार हैं। योगाभ्यास से वे सहज उपलब्ध हैं। योग में विज्ञान और दर्शन का प्रणय है। हिंदू चिंतन में मीमांसा, न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग और वेदांत भारत के छह दर्शन हैं। बौद्ध और जैन मिलाकर यहां आठ प्रमुख दार्शनिक विचार हैं। महावीर के पांच महाव्रत व बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग योग है। योग अति प्राचीन विज्ञान है, लेकिन चर्च बहुधा योग को ईसाइयत विरोधी बताता रहा है। सिल्वर स्ट्रीट वैपटिस्ट व ऐंग्लिन चर्च ने 2006 में योग की शिक्षा बंद करवाई थी। वे योग को हिंदू कर्मकांड मानते रहे हैं। योग हिंदू कर्मकांड नहीं है। यह हिंदू शोध का परिणाम है। इसके स्नोत ऋग्वैदिक काल के दर्शन में हैं। महाभारत में गीता योग दर्शन से भरीपूरी है। गीता के अनुसार कर्मकुशलता योग है-योग: कर्मसु कौशलम्।'