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- योग और स्वास्थ्य
आज मानव ने विज्ञान में नए-नए शोध कर प्रौद्योगिकी व चिकित्सा क्षेत्र में इतनी प्रगति कर ली है कि इसके कारण जीवन काफी आसान तो हो गया है, मगर शारीरिक श्रम जो पहले यूं ही दिनचर्या में आसानी से हो जाता था, अब उसके लिए आज अलग से फिटनेस कार्यक्रम चाहिए होता है। योग मुख्य विकल्प है जो कम श्रम कर अधिक फिटनेस दे सकता है। अब आम जनमानस के लिए योग के बारे में जानना जरूरी हो जाता है। पहले भी इस कॉलम के माध्यम से योग के बारे में लिखा जाता रहा है। अढ़ाई दशक पूर्व महर्षि पतंजलि ने योग को लिखित रूप में संग्रहित किया और योग सूत्र की रचना की। योग सूत्र की रचना के कारण पतंजलि को योग का जनक कहा जाता है। योग के महान ग्रंथ में योग के बारे में कहा गया है कि मन की वृत्तियों में नियंत्रण करना ही योग है। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान व समाधि यह अष्टांग योग के आठ सूत्र हैं। आठों अंगों में प्रथम दो यम व नियम को नैतिक अनुशासन, आसन, प्राणायाम व प्रत्याहार को शारीरिक अनुशासन व धारणा, ध्यान, समाधि को मानसिक अनुशासन बताया गया है। योग हमें यम एवं नियम द्वारा व्यक्ति के मन और मस्तिष्क को ठीक करने की सलाह देता है। आसन और प्राणायाम करने से पूर्व यदि व्यक्ति यम एवं नियमों का पालन नहीं करता है तो उसे योग से पूर्ण स्वास्थ लाभ नहीं मिल सकता है। यम और नियम की विस्तार से चर्चा जरूरी है। संयम मन, वचन और कर्म से होना चाहिए। इसका पालन न करने से व्यक्ति का जीवन व समाज दोनों दुष्प्रभावित होते हैं। इससे मन मजबूत और पवित्र होता है तथा मानसिक शक्ति बढ़ती है।