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- कल आज और कल
किरण चोपड़ा: आजकल हमारे वरिष्ठ नागरिक क्लब की फेसबुक पेज पर कल, आज और कल की बड़ी शानदार प्रतियोगिता चल रही है। यानी हर पीढ़ी को समझाना है कि जहां आज तुम हो वहां कल तुम्हारे माता-पिता थे और जहां तुम्हारे माता-पिता हैं कल वहां तुम होंगे। यानी आज, कल का सिलसिला जारी रहेगा। क्या बहू-बेटे, बच्चे नए-नए आइडिया के साथ मिलकर वीडियो बनाकर भेज रहे हैं। मैं समझती हूं कि जब वो प्रैक्टिस कर रहे होंगे तो क्या अच्छा, प्यार भरा हंसी-मजाक वाला माहौल होगा। बहुत से उदाहरण सैट हो रहे हैं, जिनका मैं आगे जाकर जिक्र करूंगी परन्तु एक ऐसी पीढ़ी कल, आज और कल की जिसका मैं जिक्र करने के बगैर नहीं रह सकती, वह है तलवार परिवार बड़े चंद्र कुमार तलवार उनके दो बेटे अश्विनी तलवार, और नवनीत तलवार और शिव तलवार और शिव तलवार, वेदांश और शुभ्रांश उनके पोते शुरू से जो जरूरतमंद बुजुर्ग हैं उनको कोई भी सहायता करनी हो हमेशा आगे रहते हैं और बुजुर्ग एडोप्ट भी कर रखे हैं। मुझे आज भी याद है तलवार साहब के छोटे पोते जब वह 4-5 साल के थे, साथ आते थे, बहुत शरारतें करते थे। कभी-कभी हम कह भी देते थे प्लीज इनको घर पर छोड़ कर आएं परन्तु तब भी हमेशा वह उन्हें साथ लाकर खुद सामान बांटते थे। आज वो तीसरी पीढ़ी बड़ी हो चुकी है, युवा हो गए हैं और साथ बांट रहे हैं और समझ लगती है जो उन्होंने अपने दादा, पिता, चाचा को करते देखा वो आज कर रहे हैं। कल, आज और कल को साबित कर रहे हैं कि कितनी तीन पीढ़ी एक-दूसरे से सीख कर एक-दूसरे की पूरक हैं और सबका मार्गदर्शन कर रही हैं। मेरे सामने यह सबसे बढिय़ा कल, आज और कल का उदाहरण है। धन्य हैं बड़े तलवाऱ साहब, उनके बेटे और पोते। आओ देखें इस प्रतियोगिता में और कौन-कौन सी पीढिय़ां हिस्सा ले रही हैं।