सम्पादकीय

शिक्षा के बाद सबसे अच्छा तोहफा है ईयरबुक; जिसमें लिखे ख्वाब भटकने से बचाते हैं

Gulabi
9 March 2022 8:14 AM GMT
शिक्षा के बाद सबसे अच्छा तोहफा है ईयरबुक; जिसमें लिखे ख्वाब भटकने से बचाते हैं
x
आने वाले कल के बच्चों को उनके परदादा शायद बताएं कि वे उनकी उम्र में कैसे नदी पार करके पढ़ने के लिए अपने स्कूल या कॉलेज जाते थे
एन. रघुरामन का कॉलम:
आने वाले कल के बच्चों को उनके परदादा शायद बताएं कि वे उनकी उम्र में कैसे नदी पार करके पढ़ने के लिए अपने स्कूल या कॉलेज जाते थे। उनके दादा शायद अनुभव बताएं कि कैसे उन्होंने स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ाई की। और मुझे ताज्जुब नहीं होगा, अगर कल के पैरेंट्स कहें कि कैसे उन्होंने युद्ध क्षेत्र में पढ़ाई खत्म की! इससे मुझे सलाह देतीं ये प्रसिद्ध पंक्तियां याद आ गईं।
हरिवंशराय बच्चन ने अमिताभ बच्चन को उनके बेरोजगारी के दिनों में ये कहा था कि 'जिंदगी और जमाने की कशमकश पहले भी थी, आज भी है, शायद ज्यादा, कल भी होगी, शायद और ज्यादा…' जिंदगी का सच ये है कि जीवन में हम ज्यों-ज्यों आगे बढ़ते जाएंगे, नई-नई मुश्किलों का सामना करेंगे, क्योंकि जीवन संघर्ष और चौंकाने का नाम है। पर एक चीज जिसे हमेशा दुरस्त करने की जरूरत है, खासकर युवाओं के लिए, वो है अपना ड्रीम गोल हासिल करना।
कई लोग मुझसे पूछते हैं कि हालात बदलते ही उनके सपने भी बदलते रहते हैं और बीते साल उसके लिए झौंके सारे प्रयास व्यर्थ हो जाते हैं। उन लोगों को मेरी सलाह है कि अपने सपनों को गुजरते साल के साथ अपनी 'ईयरबुक' में लिखें। ईयरबुक को स्कूल या कॉलेज के सीनियर्स मेंटेन करते हैं और इसमें अमूमन उस साल की सारी गतिविधियों की जानकारी और तस्वीरें होती हैं, जैसे हमारे घरों में एल्बम होता है। पर इसमें एक अतिरिक्त चीज होती है, जिसे हम गोल शीट कहते हैं या वे अपने जीवन में क्या बनना चाहते हैं।
और अगर मुमकिन हो तो अभिभावक और संस्थाओं को गोलशीट वाले पृष्ठ को फ्रेम करवाकर रख लेना चाहिए और फ्रेम वाली गोल शीट को दीवार पर टांगने में अपने-अपने बच्चों की मदद करनी चाहिए। जहां से बच्चे उसे रोज देख सकें। इससे उन्हें ताकत और इच्छाशक्ति मिलती है और यह उन्हें उनके इच्छित लक्ष्य से भटकने से रोकता है। यहां एक ऐसी शख्सियत की हालिया कहानी है, जिन्होंने अपना सपना ईयरबुक में लिखा और उन्होंने वह पद न सिर्फ तेजी से हासिल किया बल्कि उसमें सर्वोच्चता पर पहुंची।
यहां उनकी कहानी है। 1988 में मियामी पालमेटो सीनियर हाई स्कूल, जो कॉलेज भी है, यहां से ग्रैजुएशन के पहले केटनजी ब्राउन जैक्सन ने अपनी ईयरबुक में लिखा कि वो जज बनना चाहती हैं। 34 साल बाद इस साल 25 फरवरी को जैक्सन को वाइट हाउस में आमंत्रित किया गया, जहां राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उन्हें यूएस सुप्रीम कोर्ट के 232 साल के इतिहास में पहली अश्वेत महिला जज के रूप में नामित किया।
और जब देश का राष्ट्रपति सालों बाद जैक्सन जैसे किसी व्यक्तित्व का यह कहते हुए परिचय देता है कि 'मेरा मानना है कि असाधारण योग्यताओं वाली शख्सियत के नामांकन के साथ अब समय आ गया है कि हमारे पास ऐसा कोर्ट है, जो हमारे देश की पूरी प्रतिभा और महानता का प्रतिबिंब है' तो छात्र से जज बनीं वह गर्व से भर जाती हैं।
ऐसा नहीं है कि वह 34 साल बाद जज बनी हैं। अपने देश के बाकी कोर्ट में वह दशकों पहले जज बन गई थीं। जिला न्यायालय में अपने हालिया 8 साल के कार्यकाल में जैक्सन ने कई पेचीदा राजनीतिक मामलों का सामना किया और अगर उनका नामांकन यूएस सीनेट में पारित हो जाता है, तो संभावना है कि आगे उन्हें अपने देशवासियों को परेशान करने वाले कई मुद्दे जैसे बंदूक के अधिकार और गर्भपात जैसे ज्यादा विवादास्पद विषयों पर निर्णय लेना पड़ेगा।
फंडा यह है कि शिक्षा के बाद सबसे अच्छा तोहफा हमेशा ईयरबुक ही है, जिसमें बच्चे अपने ख्वाब लिखते हैं। उनके बिस्तर के सिराहने या सामने फ्रेम में लगा यह पृष्ठ उन्हें बिना भटके हुए उनके लक्ष्य हासिल करने में मदद करेगा।
Next Story