सम्पादकीय

XE वैरिएंट: जीनोम सीक्वेंसिंग से तीन सप्ताह में होती है पहचान, एक्सपर्ट्स बोले-नया वैरिएंट खतरनाक नहीं

Rani Sahu
14 April 2022 10:38 AM GMT
XE वैरिएंट: जीनोम सीक्वेंसिंग से तीन सप्ताह में होती है पहचान, एक्सपर्ट्स बोले-नया वैरिएंट खतरनाक नहीं
x
गुजरात में 9 अप्रैल 2022 को कोरोना के XE वैरिएंट (Corona XE Variant) का पहला मामला मिलने की पुष्टि हुई

गुजरात में 9 अप्रैल 2022 को कोरोना के XE वैरिएंट (Corona XE Variant) का पहला मामला मिलने की पुष्टि हुई. नए XE वैरिएंट की पुष्टि के लिए नेशनल गवर्नमेंट लेबोरेटरी में लगातार टेस्ट किए जा रहे हैं, जो INSACOG का हिस्सा है. नेशनल टेक्निकल एडवायजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन (NTAGI) के तहत आने वाले कोविड वर्किंग ग्रुप के प्रमुख डॉ. एन के अरोड़ा ने बताया कि एक्सई वैरिएंट की पुष्टि करने में 24 से 48 घंटे लगते हैं. एन के अरोड़ा के मुताबिक" इसकी जांच के लिए कई परीक्षण करने जरूरी हैं. उन्होंने कहा, 'राज्य द्वारा संचालित लैब ने जब XE वैरिएंट की पुष्टि की, तो सैंपल INSACOG प्रयोगशाला भेजे गए. इसके नतीजे एक या दो दिन में आ जाएंगे"

एक्सपर्ट्स का कहना है कि जीनोम सीक्वेंसिंग एक धीमी प्रक्रिया है. किसी नए वैरिएंट की पहचान के लिए तीन सप्ताह तक का समय लगता है. जांच में हो रही देरी से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि देश नए वैरिएंट के लिए तैयार नहीं है. खासकर ऐसे वैरिएंट जो आरटी-पीसीआर की जांच से बच जाते हैं. ओमिक्रॉन (Omicron Variant) की लहर का पीक इस बात का सबूत है कि सभी नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग (Genome Sequencing) के मामले में भारत की रफ्तार काफी धीमी थी.
हैदराबाद स्थित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) के प्रोफेसर और नेशनल कोविड सुपरमॉडल समिति के प्रमुख डॉ. एम विद्यासागर ने बताया कि सीक्वेंसिंग में वक्त लगता है. उन्होंने टीवी 9 से बातचीत में कहा,'ऐसा नहीं है कि वे धीमी गति से काम कर रहे हैं या भारत में तकनीक की रफ्तार कम है, लेकिन जीनोम सीक्वेंसिंग की प्रक्रिया धीमी होती है और इसके लिए वक्त की जरूरत होती है. उन्होंने कहा, 'इसका तेजी से पता लगाने का भी तरीका है, लेकिन उसमें गलती होने की गुंजाइश रहती है.
एसएल रहेजा अस्पताल के कंसल्टेंट, क्रिटिकल केयर हेड और माहिम-ए फोर्टिस असोसिएट डॉ. संजीत शशिधरन भी इन सभी बातों से सहमत नजर आए. उन्होंने कहा, 'आमतौर पर नए वैरिएंट की पहचान करने में 2-3 सप्ताह लगते हैं. इसमें सैंपल को ऑथराइज्ड लैब तक भेजने का समय भी शामिल है.'
क्या चिंता का कारण हो सकती है यह देरी?
डॉ. शशिधरन ने कहा, 'यह ट्रेंड बन चुका है कि वैरिएंट्स के लक्षण धीरे-धीरे कमजोर होते जाएंगे और इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है.' उन्होंने समझाते हुए बताया, 'जहां तक XE वैरिएंट की बात है तो इसे लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है कि धीमी जीनोम सीक्वेंसिंग प्रक्रिया पर्याप्त साबित होगी या नहीं. जैसा कि हम SARSCoV-2 के मामले में देखते आए हैं कि नए वेरिएंट्स के साथ उनकी गंभीरता भी कम होती जाएगी. एक्सई के मामलों के गंभीर होने की शायद ही कोई रिपोर्ट अब तक सामने आई है. ये ओमिक्रॉन का हाइब्रिड वैरिएंट है. चूंकि, मूल वैरिएंट ज्यादा गंभीर नहीं था. ऐसे में माना जा रहा है कि नए वैरिएंट के लक्षण भी ओमिक्रॉन जैसे ही होंगे.
भारत में पिछले कई हफ्तों से कोविड-19 के दैनिक मामलों की संख्या कम मिल रही है. बुधवार को कोरोना संक्रमण के नए मामलों की संख्या 1088 थी, जबकि 26 लोगों की मौत हुई. अब तक XE वेरिएंट के सिर्फ एक मामले का पता चला है, जिसकी लगातार जांच की जा रही है. इससे पहले महाराष्ट्र ने भी एक्सई वैरिएंट के संक्रमण का एक मामला मिलने की पुष्टि की थी, जिसे केंद्र सरकार ने मानने से इनकार कर दिया था. केंद्र सरकार ने कहा था कि सैंपल की जीनोमिक पिक्चर और एक्सई के सैंपल मेल नहीं खाते हैं.

उन्नति गोसाईं

Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story