सम्पादकीय

सेलिब्रिटी स्टेटस के अहंकार के साथ कुश्ती: दम घोंटने वाला दोहरा दबाव?

Rani Sahu
9 Oct 2021 1:31 PM GMT
सेलिब्रिटी स्टेटस के अहंकार के साथ कुश्ती: दम घोंटने वाला दोहरा दबाव?
x
ओलंपियन पहलवान सुशील कुमार (Olympian wrestler Sushil Kumar) और उनका गैंग आखिर क्यों एक जूनियर पहलवान पर कथित रूप से हमला कर उसकी बर्बर तरीके से हत्या करेगा

बिक्रम वोहरा ओलंपियन पहलवान सुशील कुमार (Olympian wrestler Sushil Kumar) और उनका गैंग आखिर क्यों एक जूनियर पहलवान पर कथित रूप से हमला कर उसकी बर्बर तरीके से हत्या करेगा? क्या इसका एक विनम्र खिलाड़ी के ओलंपिक मेडल जीतने और रातोंरात सेलिब्रिटी बनने से कोई सीधा संबंध है? यहां बात सिर्फ रातोंरात अमीर बन जाने की नहीं है, जिसमें सहज होने में वाकई कई तरह की मुश्किलें आती हैं. यूरोप में ऐसे क्लीनिक भी मौजूद हैं जो विरासत में या किस्मत से मिली संपत्ति से अचानक अमीर बने लोगों को नए मानसिक हालात से जूझने में उनकी मदद करते हैं.

केंटफील्ड (कैलिफ) से पीएचडी कर चुके थेरपिस्ट स्टीफेन गोल्डबर्ट बताते हैं कि नए-नए अमीर बने लोगों को लगता है कि वो अपने परिवार और दोस्तों से कट गए हैं. वो अपने निवेश सलाहकारों पर भी शक करने लगते हैं, उन्हें डर लगता है कि उनके बच्चे बिगड़ जाएंगे या दौलत उन्हें बर्बाद कर देगा. ऐसे लोग अपनी पहचान खत्म होने की आशंका से भी गुजरते हैं क्योंकि सिर्फ तीस की उम्र में उन्हें जीवनयापन के लिए कोई काम करने की जरूरत नहीं रह जाती.
रातोंरात मशहूर हुए लोग अपने आप को हर मुद्दे का विशेषज्ञ समझने लगते हैं
कुछ ऐसा ही उन सेलिब्रिटीज के साथ भी होता है जो रातोंरात मशहूर हो जाते हैं. हमारे फिल्म स्टार और क्रिकेटर ऐसे अक्खड़पन की सबसे सटीक मिसाल हैं. जो विनम्रता भूलकर अचानक घमंडी बन जाते हैं. जब आप खुद को 100 फीट ऊंचे कार्डबोर्ड कटआउट, हजारों तस्वीरें और बड़े पर्दों पर देखते हैं, जब आपके लिए बंद दरवाजे बड़ी आसानी से खुलने लगते हैं तो आपको लगने लगता है कि आप आम नहीं खास हैं. फिर जैसा कि अमूमन होता है कि ये सेलिब्रिटीज अचानक हर मामले के विशेषज्ञ बन जाते हैं. हर विषय पर उनकी राय विश्वसनीय बन जाती है. मोदी सरकार के कामकाज से लेकर, बजट, क्रिकेट कप्तानी, बिटक्वॉइन, अमिताभ बच्चन की नई फिल्म, ड्रग रैकेट, कोरोना प्रोटोकॉल और पेट्रोल-डीजल के दाम तक हर मुद्दे पर उनके बयानों का हवाला दिया जाता है.
अचानक मिली ताकत व्यक्ति में कई बदलाव कर देता है
अचानक हासिल हुई इस ताकत से उनके अंदर बड़े बदलाव आने लगते हैं. दूसरों से अलग होने के इस एहसास से धीरे-धीरे उन्हें लगने लगता है कि वो अजेय हैं. हालांकि इसके साथ उनके अंदर एक डर भी घर करने लगता है कि कहीं कल ये शोहरत और पैसा हाथ से निकल ना जाए. और फिर यह डर इतना बढ़ हो जाता है कि अहंकार को ठेस पहुंचने या किसी तरह की चुनौती मिलने पर सेलिब्रिटी किसी को नीचा दिखाने या उसे रास्ते से हटाने का मन बना लेते हैं. अहंकार बढ़ता है तो जहां अनादर न हो रहा हो वहां भी अनादर दिखने लगता है. बेवजह अपमानित महसूस होने लगता है. फिर खुद को महफूज़ करने के लिए बदला लेने या सामने वाले को हार मनवाने के लिए मजबूर करने की कोशिश होती है.
सुशील कुमार और सागर धनकड़ के मामले में भी शायद ऐसा ही कुछ था
अब सुशील कुमार और पीट-पीट कर जान से मार दिए गए सागर धनकड़ के बीच क्या हुआ ये तो अभी पूरी तरह से नहीं मालूम है. लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि शोहरत की कीमत चुकानी पड़ती है और कई लोग इसे संभाल नहीं पाते. अहंकार के आसमान छूने पर सेलिब्रिटीज ऐसे चापलूसों से घिर जाते हैं जो उनके घमंड को और हवा देते हैं, उन्हें ये एहसास कराते हैं कि वो सबसे अलग हैं, उनके लिए कानून भी मायने नहीं रखता
इस पहलू से इत्तेफाक रखते हुए साइकोलॉजी टुडे के एक्सपर्ट रोनाल्ड रिगियो लिखते हैं, "मशहूर और अमीर लोग सेलिब्रिटी स्टेटस के कारण मिली ताकत और इज्जत के नशे में चूर हो जाते हैं. पिछलग्गूओं की भीड़ एक इशारे पर लपक कर उनके लिए काम करने को तैयार होती है. इस असाधारण ताकत से उन्हें लगने लगता है कि वो बेहद खास हैं और जो नियम दूसरों पर लागू होते हैं, उन पर नहीं होते."
लीडरशिप स्कॉलर और फिलॉस्फर टेरी प्राइस इसे 'एक्सेप्शन-मेकिंग' यानि 'असाधारण बनावट' बताते हैं. सेलिब्रिटी ये मानने लगते हैं कि उन्हें दूसरों से दुर्व्यवहार करने की पूरी छूट होनी चाहिए. अगर वो पकड़े भी गए तो अपने रुतबे या दौलत के दम पर वो सजा से बच जाएंगे या फिर ज्यादा से ज्यादा उन्हें फटकार भर लगेगी.
अक्सर ऐसा ही होता है. सेलिब्रिटी को बड़ी सजा नहीं मिलती, जेल में भी उन्हें बेहतर सुविधा मिलती है. उन्हें लगता है कि उन्होंने सिस्टम को मात दे दी है क्योंकि वो सिस्टम से ऊपर हैं. हिंसा समेत उनके सभी जुर्म या तो नरमी दिखाते हुए माफ कर दिए जाते हैं या उन्हें बर्दाश्त कर लिया जाता है. ओजे सिम्पसन से लेकर टाइगर वुड्स और ऑस्कर प्रिस्टोरियस तक हर मामले में हमने ऐसा ही देखा है. अक्टूबर 2015 में ऑस्कर को केवल एक साल की जेल की सजा के बाद रिहा कर दिया गया. आदेश मिला कि वो अपनी बाकी सजा प्रीटोरिया में अपने चाचा आर्नोल्ड के घर नजरबंद होकर काटेंगे.
अब हो सकता है कि सुशील कुमार का अपराध उस स्तर का न हो, लेकिन उनके व्यक्तित्व में आया बदलाव बिलकुल वैसा ही है. जब आप शोहरत रूपी नशे का शिकार होते हैं तो उसके चंगुल से निकलना आसान नहीं होता. साफ है, चाहे जूनियर रेसलर सागर धनकड़ ने ओलंपियन पहलवान सुशील कुमार को अपमानित या उनका अनादर किया हो या वो खेल में उनसे आगे निकलते जा रहे हों, दोनों ही सूरत में वो उनके लिए एक चुनौती बन गए होंगे.


Next Story