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- वाह! दिव्यांग...
टोक्यो पैरालंपिक में भारत की 19 साला बेटी अवनि लेखरा ने 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीत कर विश्व रिकॉर्ड बराबर किया। वह प्रथम भारतीय खिलाड़ी हैं। भारत के हुनरमंद बेटे सुमित अंतिल ने भाला फेंक स्पद्र्धा में स्वर्ण हासिल कर विश्व कीर्तिमान स्थापित किया। उसने अपने कीर्तिमानों को ही लगातार चुनौती दी। भाला फेंक के ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा ही सुमित के खेल की मीमांसा कर सकते हैं। भारत के ही बेटों देवेंद्र झाझरिया और सुरेंद्र गुर्जर ने भी भाला फेंक में ही क्रमश: रजत और कांस्य पदक जीते। झाझरिया तो 'पुराने सिकंदर हैं। हरियाणवी सपूत योगेश कथूनिया ने चक्का फेंक में रजत पदक जीता। बीते सोमवार को एक ही दिन में भारत की झोली में पांच ओलंपिक स्तरीय पदक…! सचमुच अविश्वसनीय, अकल्पनीय और अतुलनीय लगता है। सामान्य ओलंपिक और पैरालंपिक में बुनियादी अंतर नहीं है। सिर्फ शारीरिक दिव्यांगता का फासला और मुकाबला है। वाह!! देेश के दिव्यांग बेटे, बेटियो! आपने तो अक्षमता, विकलांगता को भी चुनौती दे दी! शारीरिक अधूरेपन को हाशिए पर धकेल कर, खेल के लक्ष्य, जज़्बे और गौरव को हासिल किया। आसमान की ओर बढ़ता 'तिरंगाÓ प्रफुल्लित है। देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समेत अनेक विशिष्ट जनों ने भावनाएं व्यक्त की हैं-हमें आप पर गर्व है। सभी ने देश के इन विशेष बेटे-बेटियों को बधाइयों और शुभकामनाओं से भरपूर कर दिया है।
divyahimachal