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- सबसे बुरा असर बच्चों...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना वायरस महामारी से दुनिया भर के गरीब बच्चों पर शामत आई हुई है। ब्रिटेन जैसे धनी देश में हजारों बच्चे इस हाल में पहुंच गए हैं कि उन्हें भोजन उपलब्ध कराने के लिए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूनिसेफ को आगे आना पड़ा है। दरअसल, हकीकत यह है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण हर जगह आर्थिक गिरावट आई है। इससे दशकों से भुखमरी के खिलाफ हुई प्रगति को जोर का झटका लगा है। एक नए अनुमान के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी से भुखमरी के कारण 1,68,000 बच्चों की मौत हो सकती है। 30 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के एक नए अध्ययन के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी के कारण आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुईं हैं, जिससे भुखमरी बढ़ी है। स्टैंडिंग टुगेदर फॉर न्यूट्रीशन कंसोर्टियम ने इस साल का आर्थिक और पोषण डेटा इकट्ठा किया है। इसके अलावा उसने एक सर्वे भी किया। इससे सामने आया कि लगभग 12 करोड़ अतिरिक्त बच्चे कुपोषण से गंभीर रूप से पीड़ित होंगे। ऐसे सबसे ज्यादा बच्चे दक्षिण एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में हो सकते हैं।
कहा गया है कि जो महिलाएं अभी गर्भवती हैं, वो ऐसे बच्चों को जन्म देंगी, जो जन्म के पहले से ही कुपोषित होंगे। यानी 'एक पूरी पीढ़ी दांव पर है।' कोरोना वायरस के आने के पहले तक कुपोषण के खिलाफ लड़ाई सफलता की ओर आगे बढ़ रही थी, लेकिन महामारी से यह लड़ाई और लंबी हो गई है। ग्लोबल एलायंस फॉर इम्प्रूव्ड न्यूट्रिशन के मुताबिक 'ऐसा लगता है कि यह एक ऐसी समस्या है, जो वैसे तो हमेशा से हमारे साथ है, लेकिन कोविड-19 से पहले यह कम हो रही थी। लेकिन दस साल की प्रगति 9 से 10 महीनों में समाप्त हो गई है।' अध्ययन के मुताबिक महामारी के पहले अविकसित बच्चों की संख्या में वैश्विक स्तर पर हर साल गिरावट आ रही थी। साल 2000 में जहां 20 करोड़ बच्चे अविकसित थे, तो वहीं उनकी संख्या 2019 में घटकर 14.40 करोड़ हो गई। लेकिन इस साल ये ट्रेंड पलट सकता है। ऐसा ना हो, इसके लिए अनुमान लगाया गया है कि अगले एक साल तक करीब तीन अरब डॉलर का धन कुपोषण के खिलाफ अभियान चलाने के लिए इकट्ठा करना होगा। इसके लिए सरकारों के साथ- साथ परोपकारी संस्थाओं और निजी क्षेत्र को भी विशेष उदारता दिखानी होगी।