सम्पादकीय

बिगड़ते हालात

Gulabi Jagat
24 March 2022 2:47 PM GMT
बिगड़ते हालात
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रूस-यूक्रेन युद्ध विध्वंसकारी होता जा रहा है
रूस-यूक्रेन युद्ध विध्वंसकारी होता जा रहा है। युद्ध के कारण मानवीय संकट तेजी से बढ़ रहे हैं। यूक्रेन के एक करोड़ से ज्यादा नागरिक देश छोड़ कर जा चुके हैं। युद्ध के हालात ने खाद्य पदार्थों, तिलहन और उर्वरकों की कीमतों पर भी असर डाला है, क्योंकि युद्धरत दोनों देश इनके बड़े उत्पादक हैं।
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में आकलन किया गया है कि सोमालिया, यमन, सीरिया, मंगोलिया, इथियोपिया और ऑर्मेनिया आदि देशों में भुखमरी के हालात हैं। रूस और यूक्रेन बीते कई सालों से 30 फीसदी से अधिक गेहूं का निर्यात इन देशों को करते थे। सप्लाई चेन टूट चुकी है। अनाज के भंडार खाली होते जा रहे हैं।
युद्ध के कारण एक ही माह में खाद्यान्न के दाम 20-35 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। ऐसे में भुखमरी के शिकार देशों ने भारत की तरफ देखना शुरू किया है। भारतीय गेहूं, चावल, मक्का आदि की मांग बढ़ने लगी है। भारत कमोबेश ज्यादातर खाद्यान्न के मामले में 'आत्मनिर्भर' है, लेकिन खाद्य तेल, उर्वरक, खाद, कच्चा तेल आदि का आयात करना पड़ता है।
निश्चित रूप से यह लड़ाई दुनिया के अन्य हिस्सों में भी लोगों के लिए मुश्किल पैदा करेगी। पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका क्षेत्र पर गेहूं तथा खाद्य तेल की कीमतों में इजाफे का नकारात्मक असर होगा। अफ्रीका महाद्वीप के ज्यादातर देशों को भी तेल, खाद्य पदार्थों और उर्वरकों की बढ़ती कीमत चुकानी होगी।
यदि यह विवाद बना रहता है और कोई राजनीतिक हल नहीं निकलता है तो लड़ाई मुश्किल और बढ़ाएगी। वैश्विक मुद्रास्फीति पर अवश्य असर होगा और लाखों लोगों को बुनियादी चीजों तक पहुंच बनाने में भी मुश्किल होगी। इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने एक वीडियो साझा करके कहा कि हम अंत तक खुलकर संघर्ष करेंगे, जितना हम कर सकते हैं।
उधर अब तक का घटनाक्रम बताता है पुतिन रणनीतिक ज़ोखिम उठाने को तैयार हैं और पश्चिम के पास फिलहाल इसका कोई तोड़ नहीं है। ऐसे में अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडेन की यूरोप यात्रा बेहद महत्वपूर्ण है। वे 12 घंटों के भीतर तीन शिखर वार्ताओं में शिरकत करेंगे, जिनमें नाटो, जी-7 और यूरोपीय संघ की बैठकें शामिल हैं।
बाइडन शुक्रवार को पोलैंड की यात्रा करेंगे। हमले के बाद उत्पन्न मानवीय संकट को लेकर मसौदा प्रस्तावों पर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भी आपातकालीन विशेष सत्र बुलाया है। संघर्ष विराम के लिए राजनीतिक वार्ता, बातचीत, मध्यस्थता और अन्य शांतिपूर्ण समाधान जरूरी हैं और इस संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र ही कुछ कर सकता है।

अमृत विचार के सौजन्य से सम्पादकीय

Gulabi Jagat

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