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सोमवार को बेलारूस सीमा पर जब युद्धरत रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधियों की बातचीत शुरू हुई थी, तब एक उम्मीद बंधी थी कि शायद और अनर्थ होने से बचने की कोई सूरत निकल आए और खून-खराबे का दौर थम जाए। लेकिन वार्ता की नाकामी के बाद यह जंग अब एक बदसूरत मोड़ ले चुकी है। खबर है कि बेलारूस के हमले के साथ इसमें तीसरे पक्ष का प्रवेश हो चुका है और यह लड़ाई विश्व युद्ध की ओर बढ़ चली है। नाटो देश पहले ही प्रच्छन्न रूप से हथियारों व दूसरे संसाधनों से यूक्रेन की मदद कर रहे थे, अब यदि कोई देश सीधे उतर आया है, तो नाटो देशों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी। जाहिर है, दुनिया के तमाम देशों को अपनी रणनीति नए सिरे से बनानी पड़ेगी, क्योंकि काफी सारे देश संयुक्त राष्ट्र से पृथक तरह-तरह के समझौतों में हितों की साझेदारी करते हैं। भारत जैसे देशों के लिए संतुलन साधने की चुनौती और अधिक उलझ गई है। रूस हमारा भरोसेमंद मित्र देश है और यूक्रेन से मधुर रिश्तों की गवाही हजारों छात्रों की वहां मौजूदगी देती है।
क्रेडिट बाय हिन्दुस्तान