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शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की सालाना बैठक में भारत ने आतंकवाद और अफगानिस्तान को मान्यता के मुद्दे पर अपना रुख साफ कर दिया। भारत ने कहा कि तालिबान सरकार को मान्यता देना आतंकवाद को बढ़ावा देना होगा। और अगर दुनिया में ऐसी कट्टरपंथी सरकारें बनने का खतरा खड़ा हो गया तो आतंकवाद को बढ़ने से रोक पाना कहीं ज्यादा मुश्किल हो जाएगा। इसलिए अभी वक्त है कि हम आतंकवाद से निपटने के लिए एकजुट होकर काम करें। बैठक में आतंकवाद का मुद्दा इसलिए भी छाया रहा क्योंकि रूस, चीन और पाकिस्तान जैसे देश भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। और अफगानिस्तान में फिर से तालिबान का राज कायम हो जाने के बाद यह संकट गहराने का खतरा बढ़ गया है। भारत पहले ही आशंका जता चुका है कि पाकिस्तान तालिबान लड़ाकों को कश्मीर में भेज कर अशांति पैदा कर सकता है। हालांकि दूसरे देश भी कट्टरपंथी विचारधारा वाली सरकार के खतरे से अनजान नहीं हैं। लेकिन आतंकवाद के मुद्दे पर दोहरे मानदंडों की वजह से यह समस्या कहीं ज्यादा गंभीर होती जा रही है। बैठक में हालांकि भारत ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया, पर आतंकवाद के मुद्दे पर जिस तरह का कड़ा रुख दिखाया, पाकिस्तान को उसका मतलब समझना चाहिए।