सम्पादकीय

World TB Day 2022: स्थानीय स्तर पर लोग टीबी के खिलाफ भारत की लड़ाई में दे रहे अपना योगदान

Gulabi Jagat
24 March 2022 8:11 AM GMT
World TB Day 2022: स्थानीय स्तर पर लोग टीबी के खिलाफ भारत की लड़ाई में दे रहे अपना योगदान
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वर्ष 2025 तक भारत को 'टीबी मुक्त' बनाने के लिए भारत सरकार का राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम पूरी गति से चल रहा है
डा. मनसुख मांडविया। वर्ष 2025 तक भारत को 'टीबी मुक्त' बनाने के लिए भारत सरकार का राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) पूरी गति से चल रहा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत चलने वाले इस कार्यक्रम के तहत टीबी को भारत से पूर्ण रूप से खत्म करने के लिए हर टीबी मरीज की पहचान करके, उसे अधिसूचित करने की पूरी व्यवस्था केंद्र सरकार ने तैयार की है। यह व्यवस्था भी की गई है कि टीबी मरीजों को समय पर दवा मिले। दरअसल ड्रग रेसिस्टेंट टीबी मरीजों के इलाज में महंगी दवाओं का इस्तेमाल होता है। ऐसे में नरेन्द्र मोदी सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि इन्हें ये महंगी दवाएं भी उपलब्ध हों। टीबी मरीजों का इलाज तब ही प्रभावी होता है, जब उनकी पोषण जरूरतें पूरी हों। टीबी मरीजों का सही पोषण सुनिश्चित करने के लिए सरकार मरीजों की आर्थिक मदद भी कर रही है।
टीबी मामलों की अधिसूचना एनटीईपी के सही दिशा में काम करने का एक प्रमुख संकेतक है। वर्ष 2019 में रिकार्ड 24 लाख से अधिक मामलों की पहचान की गई। यह एक बड़ी उपलब्धि इसलिए भी है, क्योंकि इससे अनुमानित मामलों और रिपोर्ट किए गए मामलों के बीच का अंतर समाप्त हो गया। जब यह अंतर समाप्त होता है तो अधिक से अधिक टीबी मरीजों का इलाज हो पाता है और इन मरीजों से आगे संक्रमण फैलने पर अंकुश लगता है।
कोविड महामारी का असर बहुत व्यापक रहा है। इसका असर टीबी कार्यक्रम पर भी पड़ा। वर्ष 2019 की तुलना में 2020 में टीबी मामलों की अधिसूचना 25 प्रतिशत घट गई। लेकिन 2021 में यह स्थिति सुधरी और 21 लाख टीबी मामले अधिसूचित किए गए। यह 2020 की तुलना में 18 प्रतिशत अधिक है। यह दिखाता है कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार 'टीबी मुक्त भारत' बनाने के लिए पूरी संजीदगी से काम कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 'सबका साथ, सबका प्रयास' की बात कहते हैं। इसी भावना की वजह से आज जमीनी स्तर पर 'टीबी मुक्त भारत' बनाने का कार्यक्रम जन आंदोलन बन गया है। सरकार के साथ-साथ विभिन्न स्तर के जन-प्रतिनिधियों, समाज और सामाजिक संगठनों की ताकत जुड़ गई है। सभी के साझा प्रयास से सकारात्मक परिणाम भी मिल रहे हैं। जन-प्रतिनिधियों और समाज के प्रभावशाली प्रतिनिधियों के प्रयासों ने कुछ महत्वपूर्ण योजनाओं जैसे कि निक्षय पोषण योजना में टीबी रोगियों को लाभान्वित करने में सहयोग किया। इससे कठिन समय में अधिसूचित रोगियों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद की। अप्रैल 2018 से दिसंबर 2021 तक के आंकड़े बताते हैं कि केंद्र सरकार ने निक्षय पोषण योजना के तहत 57 लाख टीबी मरीजों को कुल 1,487 करोड़ रुपये से अधिक की सीधी आर्थिक मदद की है।
राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत बच्चों को टीबी से मुक्ति दिलाने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत घर-घर जाकर टीबी से ग्रसित बच्चों के बीच टीबी निवारक सेवाओं का दायरा बढ़ाया गया है। वर्ष 2019 में अधिसूचित टीबी रोगियों में से तकरीबन 47 प्रतिशत परिवारों के यहां स्वास्थ्यकर्मी गए। इनमें से पांच लाख से अधिक टीबी से ग्रसित बच्चों की पहचान की गई। इन बच्चों में से 78 प्रतिशत को टीबी प्रीवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) का लाभ मिला। इसी तरह से पीएलएचआईवी (एचआईवी वाले टीबी रोगी) को भी इस कार्यक्रम के तहत जरूरी मदद दी जा रही है।
टीबी उन्मूलन के लिए भारत नई तकनीक विकसित करने और इन्हें अपनाने की दिशा में भी काम कर रहा है। भारत ने एक अत्यधिक प्रभावी 'मेक इन इंडियाÓ उत्पाद के रूप में ट्रूनेट डायग्नोस्टिक टेस्ट विकसित किया है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा समर्थित है और आज यह पूरी दुनिया के लिए उपलब्ध है। इसी तरह से टीबी के संभावित मरीजों की पहचान के लिए कृत्रिम बुद्धिमता यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल समेत अन्य आधुनिक तकनीकी समाधानों की संभावनाओं को टटोला जा रहा है।
टीबी के कुल मरीजों में से करीब 70 प्रतिशत ऐसे हैं, जो निजी क्षेत्र में इलाज कराना चाहते हैं। इनका सही इलाज हो और इनसे संबंधित जानकारियां भी सही ढंग से सरकार के पास आ सकें, इसके लिए राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत यह रणनीति अपनाई गई है कि जहां कोई रोगी हो, वहीं हमें पहुंचना है। इससे टीबी उन्मूलन कार्यक्रम का प्रभाव बढ़ा है। वर्ष 2019 में पहली बार ऐसा हुआ कि निजी क्षेत्र के अस्पतालों से तकरीबन सात लाख टीबी मरीजों को अधिसूचित किया गया। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य मंत्रालय ने 'कारपोरेट टीबी प्रतिज्ञा' पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत 150 कंपनियों ने एनटीईपी को समर्थन देने का वचन दिया है।
यह समझना होगा कि टीबी के खिलाफ आज सामूहिक लड़ाई लडऩे की आवश्यकता है। इस लड़ाई में स्वास्थ्य मंत्रालय अन्य मंत्रालयों के साथ मिलकर काम कर रहा है। टीबी मुक्त प्रमाण पत्र प्रदान करने की स्वास्थ्य मंत्रालय की पहल, टीबी के जोखिम के प्रति ध्यान केंद्रित करने और प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण और अभिनव तरीका है। वर्ष 2021 में विभिन्न राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों और जिलों से टीबी मुक्त प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए 198 आवेदन आए थे। ऐसी रणनीतियों को अपनाने से टीबी उन्मूलन के प्रयासों को मजबूती मिल रही है। स्थानीय स्तर पर लोगों में जागरूकता आ रही है और वे अपने-अपने स्तर पर टीबी के खिलाफ भारत की लड़ाई में अपना योगदान दे रहे हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री
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