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- World Sparrow Day: ओ...
आज गौरय्या अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही है। यदि बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी से संबद्ध रहे विख्यात पक्षी वैज्ञानिक आर. जे. रंजीत डैनियल,असद रफी रहमानी और एस. एच. याह्या की मानें, तो हमारी बदलती जीवन शैली और उनके आवासीय स्थानों के नष्ट हो जाने ने गौरैया को हमसे दूर करने में अहम भूमिका निभाई है। ग्रामीण अंचलों में यदा-कदा उसके दर्शन हो पाते हैं, लेकिन महानगरों में उसके दर्शन दुर्लभ हैं। बहुमंजिली इमारतों का इसमें अहम योगदान है। कारण, गौरैया 20 मीटर से अधिक उंचाई पर उड़ ही नहीं पाती।
अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ भी इसकी पुष्टि करता है। गौरतलब है कि गौरैया एक घरेलू चिड़िया है, जो सामान्यतः इंसानी रिहायश के आसपास ही रहना पसंद करती है। भारतीय उपमहाद्वीप में इसकी हाउस स्पैरो, स्पेनिश स्पैरो, सिंध स्पैरो, डेड-सी या अफगान स्क्रब स्पैरो, यूरेशियन स्पैरो और रसेट या सिनेमन स्पैरो-ये छह प्रजातियां पाई जाती हैं।