सम्पादकीय

World Ozone Day 2022: ओजोन परत बचेगी, तभी बच पाएंगे हम

Rani Sahu
16 Sep 2022 5:22 PM GMT
World Ozone Day 2022: ओजोन परत बचेगी, तभी बच पाएंगे हम
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By लोकमत समाचार सम्पादकीय
आज 16 सितंबर को विश्व ओजोन दिवस है। यह दिन हमें पर्यावरण से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर बहुत कुछ सोचने के लिए प्रेरित करता है। वैज्ञानिकों ने सत्तर के दशक में यह खोजा था कि ओजोन परत पतली हो रही है। 1980 के आस-पास यह बहुत स्पष्ट हो गया था कि ओजोन परत का तेजी से क्षरण हो रहा है। इसके लिए विभिन्न मानवनिर्मित कारक जिम्मेदार थे।
विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों के द्वारा यह बात सामने आई कि क्लोरो फ्लोरो कार्बन नामक गैस ओजोन परत को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा रही है। यह गैस मुख्यतः वातानुकूलन एवं प्रशीतन (रेफ्रिजरेशन) में काम आती है। इसके अतिरिक्त वातावरण में ऊंचाई पर उड़ने वाले जेट विमान भी क्लोरो फ्लोरो कार्बन छोड़ते हैं। इस तरह की गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए 1987 में अंतरराष्ट्रीय मांट्रियल संधि को लागू किया गया।
ओजोन वातावरण के स्ट्रेटोस्फीयर भाग में धरती की सतह से ऊपर 15 किमी से लेकर 40 किमी तक की ऊंचाई में पाई जाती है। धरती पर जीवन के लिए वातावरण में ओजोन परत की उपस्थिति जरूरी है। यह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को सोखकर ऐसे विभिन्न रासायनिक तत्वों को बचाती है जो कि जीवन के लिए बहुत ही आवश्यक होते हैं। ओजोन परत के क्षरण से सूर्य से निकलने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणें धरती पर पहुंचकर मनुष्यों, जानवरों, पेड़-पौधों तथा अन्य बहुत सारी चीजों को नुकसान पहुंचाती हैं।
पराबैंगनी किरणों से त्वचा कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, शरीर की प्रतिरक्षक प्रणाली का कमजोर होना, आंखों के रोग, डीएनए का टूटना तथा सन बर्न जैसे रोग हो जाते हैं। सर्वप्रथम स्वीडन ने 23 जनवरी 1978 को क्लोरो फ्लोरो कार्बन वाले ऐरोसोल स्प्रे को प्रतिबंधित किया था। इसके बाद कुछ अन्य देशों जैसे अमेरिका , कनाडा तथा नार्वे ने भी यही कदम उठाए।
Rani Sahu

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