सम्पादकीय

World Obesity day: भारत में 135 मिलियन लोग मोटापे का हैं शिकार, ये हैं इससे बचाव के तरीके

Gulabi
4 March 2022 12:21 PM GMT
World Obesity day: भारत में 135 मिलियन लोग मोटापे का हैं शिकार, ये हैं इससे बचाव के तरीके
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भारत में 135 मिलियन लोग मोटापे का हैं शिकार
शालिनी सक्सेना।
मोटापा (Obesity) आज दुनिया भर में बड़ी समस्या बन गया है. विश्व स्वस्थ्य संगनठन (WHO) के मुताबिक़, 1975 के बाद से दुनिया में मोटापा तीन गुना बढ़ा है. इंडियन जनरल कम्युनिटी मेडिसन के अनुसार, सिर्फ भारत में ही 135 मिलियन लोग मोटापे का शिकार हैं.आज वर्ल्ड ओबेसिटी डे 2022 (World Obesity day 2022) के मौक़े पर, सभी लोगों को इसके लिए प्रयास करने की ज़रूरत है. TV9 ने इस विषय पर फोर्टिस सिडीओसी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर डायबिटीज, मेटाबोलिक डिज़ीस एंड एंडोक्रिनोलॉजी के अध्यक्ष डॉ अनूप मिश्रा से बात की, डॉ मिश्रा, नेशनल डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल फाउंडेशन के भी अध्यक्ष हैं.

डॉ. मिश्रा का कहना है कि भारतीय लोगों में मोटापे को लेकर जागरूकता फैलाना आसान काम नहीं है. आए दिन नए-नए फ़ास्ट फ़ूड ऑउटलेट्स का खुलना, टीवी,अख़बारों में जंक फ़ूड के विज्ञापनों की भरमार होने के साथ ही स्वस्थ खाद पदार्थों के बारे में जागरूकता की कमी, सही खान-पान के बारे में चली आ रहीं ग़लत आदतें, सबके लिए व्यायाम की सुविधाओं का आभाव (खासतौर पर महिलाओ के लिए ) भी इसके लिए ज़िम्मेदार हैंं. भारत में फ़ूड कंपनियां भी अपने खाद्य पदार्थों पर पूरी और सही जानकारी देने से कतराती हैं, जिससे खाने पीने की चीज़ों के बारे में लोगों को सही जानकारी नहीं मिल पाती, ग्राहकों को सही जानकरी मिल सके, इसके लिए पॉलिसी मेकर्स को इस दिशा में ठोस क़दम उठाने की ज़रूरत है. जो फिलहाल कहीं दिखाई नहीं देता.

मोटापा डायबिटीज के लिए, किस तरह ज़िम्मेदार है?
हमरे शरीर में जितनी ज़्यादा वसा होती है, शरीर को इन्सुलिन (Insulin) बनाने में उतनी ही ज़्यादा परेशानी होती है.और ऐसा तब देखा जाता है, जब पेट के आस-पास लिवर और पेनक्रेअटिक मे फैट जमा हो जाता है. आसान भाषा में कहें, तो लिवर में, थोड़ी सी भी चर्बी बढ़ने से मधुमेह (Diabetes) की आशंका बढ़ जाती है. शारीरिक रूप से मोटे नहीं होने पर भी ये परेशानी हो सकती है.
भारत में मधुमेह और मोटापे की भयानक स्थिति पर एक नज़र
क्षेत्र और आबादी के हिसाब से देखें, तो शहरी इलाक़ो में ग्रामीण इलाक़ो की तुलना में मोटापे की समस्या 30 से 50 फीसदी तक ज्यादा है, सर्वे बताते हैं कि गाँवों में पांच प्रतिशत और शहरों में बीस प्रतिशत लोग इसकी चपेट में हैं. डाइबिटीज़ भी मोटापे के ही नक़्शे क़दम पर चलती है, जहाँ मोटापा ज़्यादा वहीँ मधुमेह के मरीज़ों कि संख्या भी ज़्यादा. पहाड़ी इलाक़ों में अमूमन ये रोग कम होता है.
मोटापे से लड़ने में बाधाएँ
व्यक्तिगत तौर पर उठाए जाने वाले क़दम, और योजनाए दोनों ही इसमें रूकावट पैदा करते हैं, इस दिशा में चल रहे प्रयासों को पूरा करने के लिए हमें अपने दृष्टिकोण और राष्ट्रव्यापी योजनाओं, को बदलने की ज़रुरत है. उदाहरण के लिए ब्राज़ील, यूनिवर्सल फ़ूड लेबलिंग जैसे साधारण उपाय के ज़रिए अपने देश में मोटापे पर क़ाबू करने में सफल रहा है. परेशानी ये है कि इस तरह के उपाय धीरे-धीरे परिणाम देते हैं. आप इनसे एक दो साल में बदलाव की उम्मीद नहीं कर सकते. इस तरह की योजनाओं को पूरा होने के लिए कम से कम दस साल का समय चाहिए.
क्या बेरियाट्रिक सर्जरी मोटापे और मधुमेह के लिए कारगर हो सकती है?
सभी मोटे लोगों की बेरियाट्रिक सर्जरी नहीं की जाती है. चिकित्सक सिर्फ उन्ही लोगों को इस सर्जरी की सलाह देते हैं ,जिन लोगो का बीएमआई 35 से 40 होता है. इस इलाज के बहुत महंगा होने की वजह से भी ये आम लोगों की पहुंच से दूर हो जाता है.
वर्ल्ड ओबेसिटी डे पर एक सलाह
अगर आप मोटापे से निजात पाना चाहते हैं,तो आपको अपनी जीवन शैली को अनुशासित करना होगा और यह तभी हो सकता है, जब आप जीवन भर इसका पालन करें. इसके लिए आपको अपने शरीर का बॉडी मास इंडेक्स ( BMI) मेंटेन करना होगा .अगर आप ये करने में कामयाब हो जाते हैं, तो यक़ीन मानिए, आप कैंसर समेत 30 बीमारियों से बचे रह सकते हैं.
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