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- नया वितान रचता विश्व...
गरीबी की मार और पेट की आग से पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार से 1879 में एग्रीमेंट के तहत फिजी पहुंचे गिरमिटिया लोगों ने शायद ही सोचा होगा कि एक दिन इसी देश में उस हिंदी की ऐसी गूंज सुनायी देगी, जिसे तब गुलामों की जुबान माना जाता था. लिखित रूप से रामचरित मानस का गुटका संस्करण और हनुमान चालीसा एवं स्मृति में अपने लोक के गीतों व कथाओं को लेकर पहुंचे उन उखड़े लोगों ने अपनी मेहनत के दम पर फिजी को खड़ा किया, तो अपनी संस्कृति को भी बचाये रखा. उस संस्कृति की वाहक हिंदी बनी. उसी हिंदी का वैश्विक तीन दिवसीय कार्यक्रम फिजी में आज शुरू हो रहा है, जो 17 फरवरी तक चलेगा.
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सोर्स: prabhatkhabar