सम्पादकीय

विश्व स्वास्थ्य संगठन : प्रतिबंध से क्यों मुक्त नहीं हो सकती भांग

Gulabi
26 Nov 2021 6:35 AM GMT
विश्व स्वास्थ्य संगठन : प्रतिबंध से क्यों मुक्त नहीं हो सकती भांग
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विश्व स्वास्थ्य संगठन
विश्व स्वास्थ्य संगठन की संस्था, कमीशन ऑन नार्कोटिक्स ड्रग्स के 53 सदस्यों में से भारत सहित 27 सदस्यों ने 2020 में भांग और गांजा को खतरनाक दवाओं की सूची से बाहर कर दिया था। उससे पूर्व अमेरिका के कैलिफोर्निया ने जनवरी, 2018 में भांग की बिक्री को मंजूरी दे दी थी और दो वर्षों में टैक्स के रूप में लगभग 7,345 करोड़ का राजस्व कमा लिया था।
भारत भी ऐसे व्यवसाय से लाभान्वित हो सकता था, अगर नार्कोटिक्स ड्रग्स ऐंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंसेज ऐक्ट, 1985 (एनडीपीएस ऐक्ट) के तहत भांग के उत्पादों के इस्तेमाल को नियंत्रित न किया होता। 1980 तक हमारे देश में भांग और चरस कानूनी तौर पर बेची जाती थी। यह प्रतिबंध अमेरिकी दबाव में लागू हुआ।
अमेरिका नहीं चाहता कि भांग और गांजा के बाजार में भारत प्रवेश करे, जिसका सात हजार वर्षों से उत्पादन का अनुभव है। नार्कोटिक ड्रग्स पर संयुक्त राष्ट्र के 1961 के समझौते के अनुसार भारत ने एनडीपीएस ऐक्ट लागू किया। शराब का सेवन लीवर सिरोसिस का शिकार बनाता है, तो तंबाकू से मुंह का कैंसर होता है। वहीं भांग और गांजा सदियों से हमारी लोक परंपरा में देवताओं को चढ़ाया जाता रहा है। शिव को भांग और धतूरा भेंट करने की परंपरा रही है।
ब्रिटिश सरकार ने 1893 में ही भांग को हानिकारक नहीं माना था। 1893 में जब इंडियन हेम्प ड्रग्स कमीशन की स्थापना हुई, तब भांग पर रोक को लेकर कोई बात नहीं हुई। अंग्रेजों ने भांग के उपयोग पर निगरानी रखी, पर उसे गैरकानूनी घोषित नहीं किया। कहा तो यह भी जा रहा है कि देश में शराब का कारोबार तीन अरब 90 करोड़ रुपये का है और भांग-गांजा या चरस पर से प्रतिबंध हटने से इसकी बिक्री प्रभावित हो सकती है।
इसलिए शराब व्यवसायी प्रतिबंध बनाए रखने का दबाव बनाए हुए हैं। विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी ने रिसर्च के बाद पाया कि भांग-गांजे पर रोक से उनके हाथ से राजस्व कमाई का बड़ा मौका निकल रहा है। भांग के पौधे से एक किस्म का कागज और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स भी बनाया जाता है। इसका वैश्विक बाजार 4.7 अरब डॉलर का है।
भांग और गांजा को नियंत्रित करने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत का योगदान शून्य के बराबर है। अपने यहां भांग केवल दवा, वैज्ञानिक और औद्योगिक इस्तेमाल के लिए अनुमति लेकर उगाई जा सकती है, मगर यह भ्रष्टाचार को बढ़ाता है। लाइसेंस के बिना भांग की खेती करने पर 10 साल तक की सजा हो सकती है।
भांग और गांजे के अवैध कारोबार पर नियंत्रण के बहाने कुछ विभाग लाखों की कमाई करते हैं। किसी को फंसाने के लिए सौ-दो सौ ग्राम भांग या गांजा दिखाकर, शिकार कर लेना आसान है। पुलिस द्वारा इसके दुरुपयोग की शिकायतें मिलती रहती हैं। अमेरिका के 26 राज्यों ने भांग खाने और रखने को अपराध मुक्त कर दिया है। 11 दूसरे राज्यों ने भी भांग इस्तेमाल को वैध बनाया है। अगर भांग और गांजा सेवन से कोई नुकसान नहीं होता, उसे प्रतिबंधों से मुक्त कर समाज और सरकार का भला किया जा सकता है।
अमर उजाला
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