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- विश्व पर्यावरण दिवस...
प्रशांत कुमार घोष: करीब दो वर्ष पहले मार्च 2019 को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए मध्य अमेरिका के छोटे से देश अल सल्वाडोर की पर्यावरण एवं प्राकृतिक संसाधन मंत्री लीना पोहन ने पारिस्थितिकी तंत्र के पुनरुद्धार के लिए एक दशक मनाने का सुझाव दिया था। उनका कहना था कि इस दशक की स्थितियां ही आगामी दशकों में हमारे जीवन को निर्धारित करेंगी। देश भले ही छोटा हो, लेकिन बात बहुत बड़ी थी। इसलिए इस सुझाव को 70 से अधिक देशों ने अपना समर्थन दिया। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने तत्काल एक प्रस्ताव पारित करके 2021-2030 की अवधि को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण पुनरुद्धार दशक के रूप में मनाने की घोषणा की। पारिस्थितिकी तंत्र यानी इकोसिस्टम में सभी जीवधारियों, वनस्पतियों और सूक्ष्म जीवों की विभिन्न प्रजातियों का सह-अस्तित्व होता है। यह तंत्र इस पृथ्वी पर सभी प्रकार के जीवन का आधार है। जंगल, पहाड़, नदियां, झील, तालाब, समुद्र, कृषि भूमि-ये सभी विविधताएं एक स्वस्थ और संपन्न मानव जीवन की प्राण शक्तियां हैं। हर कोई पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं पर पूरी तरह निर्भर है, चाहे वह भोजन सामग्री हो, जल हो, ईंधन हो या फिर कूड़े-करकट का प्राकृतिक निदान, वायु शद्धिकरण, मृदा निर्माण, परागण आदि हो। हमारी पृथ्वी को रहने लायक बनाए रखने में पारिस्थितिकी तंत्र की भूमिका सबसे बड़ी है। यह जितना स्वस्थ होगा, पृथ्वी और उसके लोग भी उतने ही स्वस्थ होंगे, किंतु हमारे अनुचित क्रिया-कलापों ने पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। परिणामस्वरूप भूमि, जल और वायु, इन सभी की उपलब्धता और गुणवत्ता में न केवल तीव्र गिरावट हुई है, बल्कि इनके अनेक घटक विषाक्त भी हो गए हैं। यह मानव और पर्यावरण, दोनों के लिए चिंताजनक है। यदि समय रहते इन गंभीर चिंताओं का निराकरण नहीं किया गया तो एक दिन पृथ्वी से मानव जीवन ही समाप्त हो सकता है। क्षतिग्रस्त पारिस्थितिकी तंत्र के पुनरुद्धार की जितनी तीव्र आवश्यकता आज है, उतनी पहले कभी नहीं थी।