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By: divyahimachal
भारतीय क्रिकेट फिर जश्न मनाने हिमाचल आ रही है। आईसीसी वल्र्ड कप की मेजबानी में भारत के नक्शे पर धर्मशाला का नाम चिन्हित करने का संकल्प पूरा हो रहा है, तो इसका श्रेय स्वाभाविक रूप से हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन और खास तौर पर आईपीएल चेयरमैन अरुण धूमल को जाता है। वल्र्ड कप के पांच मैच हासिल करना राज्य के नाम खेल पर्यटन की कई संभावनाएं जोड़ रहा है। इस तरह अक्तूबर का महीना फिर जायजा लेगा कि ऐसे आयोजन कितने शक्तिशाली हो सकते हैं। खास बात यह भी कि जिन नौ केंद्रों में भारत अन्य टीमों से भिड़ेगा, उनमें से एक धर्मशाला का स्टेडियम भी है। यानी तमाम बड़े शहरों की कतार में हिमाचल का शहरी विकास महकमा अपनी औकात का नया तर्जुमा देख सकता है। जाहिर है हिमाचल क्रिकेट एसोसिएशन ने अपनी अधोसंरचना के दम पर वल्र्ड कप के आयोजन का सिक्का जमा लिया है, तो इससे अन्य खेल संघों और खास तौर पर खेल विभाग को भी अपने अनुभव के सुर ऊंचे उठाने होंगे।
सवाल हिमाचल में खेल संभावनाओं से खेल पर्यटन तक अगर उत्तर ढूंढ ले, तो खेल राज्य के तौर पर यह प्रदेश मणिपुर की तर्ज पर खिलाडिय़ों का मक्का बन सकता है। हिमाचल में कई खेल अकादमियां इस प्रयास में रही हैं कि अगर जमीन उपलब्ध हो तो राष्ट्रीय प्रशिक्षण के कैंप यहां लग सकते हैं। इस लिहाज से हर खेल संघ कम से कम एक स्टेडियम तो बना ही सकता है। बिलासपुर, ऊना, हमीरपुर व धर्मशाला में खेल ढांचा उन्नत हुआ है, लेकिन संभावनाओं की निगरानी में बहुत कुछ करना बाकी है। आबोहवा की बदौलत पड़ोसी राज्यों के कई विश्वविद्यालय हिमाचल में समर कैंप लगाते हैं, लेकिन हिमाचल के विश्वविद्यालय खेलों के प्रति उदासीन हैं, नतीजतन यहां के खिलाड़ी गुरु नानक देव विश्वविद्यालय का रुख करते हैं। खेलों के प्रति हिमाचल की संवेदना का हाल यह है कि अग्निवीर भर्ती के दौरान धर्मशाला का सिंथेटिक ट्रैक व बैडमिंटन हाल ही खिलाडिय़ों के लिए बंद कर दिए गए। कुछ वर्ष पूर्व 26 करोड़ के बजट के साथ मंजूर हुआ उत्कृष्ट प्रशिक्षण खेल परिसर का कोई अता-पता नहीं रहा। हाई आल्टीट्यूट खेल संस्थान की योजना न जाने कहां चली गई। यह दीगर है कि केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के प्रयास से हमीरपुर में खेल प्रशिक्षण का एक्सीलेंस सेंटर मंजूर हुआ है, फिर भी अपेक्षा तो यह थी कि उनके नेतृत्व में हिमाचल खेल राज्य बन जाता।
हिमाचल को खेल राज्य बनने के लिए राष्ट्रीय खेलों का एक आयोजन करना होगा। इसके तहत केंद्र के सहयोग से प्रदेश एक साथ कम से कम आधा दर्जन खेल परिसर विकसित कर सकता है। राष्ट्रीय खेल समारोह की छतरी के नीचे ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, धर्मशाला, मंडी, सोलन व शिमला के साथ-साथ जल क्रीड़ाओं के लिए पौंग, कोल या गोविंद सागर बांध भी विकसित हो जाएंगे। बहरहाल, क्रिकेट संघ की सक्रियता ने साबित कर दिया है कि अगर इरादों में दम हो तो हिमाचल ऐसे आयोजनों का भागीदार बनकर पर्यटन आर्थिकी को संबल दे सकता है। ये पांच मैच बहुत कुछ लेकर आ रहे हैं। सर्वप्रथम वल्र्ड कप के चिन्हित मैप पर हिमाचल का नाम अपनी क्षमता और संभावना के साथ लिखा जा रहा है। मैचों का प्रसारण इतना प्रचार तो कर ही देगा कि आने वाले समय में खेल के दर्शक या प्रशंसक आगे चलकर क्षमतावान पर्यटक बनकर हिमाचल को ढूंढते यहां पहुंच जाएंगे। यही वजह है कि धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम का आकर्षण बिना किसी मैच के भी पर्यटकों को आमंत्रित करता रहता है। पांच मैचों के साथ पर्यटन अपनी कहानी कैसे लिखता है या होटलों, रेस्तरां व व्यापारिक प्रतिष्ठानों के मालिक इन्हें कैसे अपनी क्षमता में ढाल पाते हैं, यह देखना सुखद होगा। क्या एचपीटीडीसी के होटल, वल्र्ड कप के मुताबिक अपना शृंगार कर पाएंगे। क्या हिमाचल पुलिस वल्र्ड क्लास प्रबंधन की शृंखला में ट्रैफिक मैनेज कर पाती है। सबसे अधिक सीखने का अवसर शहरी विकास, पर्यटन, ट्रांसपोर्ट, सार्वजनिक निर्माण, खेल विभाग तथा प्रशासन को मिलेगा। आगामी दो महीनों में हिमाचल की सूरत में वल्र्ड कप का तोहफा किस तरह अंगीकार किया जाता है या इसमें भविष्य के लिए कितना अवसर ढूंढा जाता है, यह देखना होगा।
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