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अभिषेक कुमार सिंह: कोरोना संकट के इस दौर में कोई नहीं जानता कि कोविड-19 महामारी का कहर कब थमेगा और कब जिंदगी पुराने ढर्रे पर वापस लौटेगी? सिर्फ पढ़ाई-लिखाई ही नहीं, कई ऐसे कामकाज भी इस मजबूरी में घर बैठे और ऑनलाइन संपन्न कराए जा रहे हैं, जिनके बारे में इस महामारी के पहले सिर्फ विमर्श के स्तर पर सोच-विचार होता था। ज्यादातर दफ्तरों में अधिकारी इसे लेकर ज्यादा विचार नहीं करते थे कि बहुत से ऐसे काम हैं, जिन्हें घर से किया जा सकता है, लेकिन कोरोना संकट से पैदा अनिश्चय ने वर्क फ्रॉम होम यानी घर से काम करने की मजबूरी को एक जरूरत में बदल दिया है। अब दफ्तरी कामकाज के अलावा खरीद-फरोख्त और निजी-सरकारी बैठकों से जुड़े तमाम काम या तो ऑनलाइन संपन्न हो रहे हैं या ऑनलाइन करने की तैयारी है, ताकि कोविड-19 का दौर लंबा खिंचने पर दुनिया के चलने में कोई ज्यादा मुश्किल न हो।