सम्पादकीय

'वुड वाइड वेब' पारिस्थितिकी से संबंधित सूचनाओं का है समृद्ध स्रोत

Rani Sahu
28 Oct 2021 4:31 PM GMT
वुड वाइड वेब पारिस्थितिकी से संबंधित सूचनाओं का है समृद्ध स्रोत
x
शहरी इलाकों में रहने वाले लोगों को जंगल की सैर नई ऊर्जा से भर देती है

साधना शंकर शहरी इलाकों में रहने वाले लोगों को जंगल की सैर नई ऊर्जा से भर देती है। यहां तक कि सिर्फ पेड़ के नीचे खड़े होने या उसकी छांव तले बैठने भर से अच्छी सेहत और सुकून भरा अहसास होता है। अगर आपने कभी पेड़ को गले लगाया हो, तो महसूस किया होगा कि ये किसी इंसान को गले लगाने जैसा अनुभव होता है! पूरी दुनिया में ज्यादा से ज्यादा पौधरोपण के बारे में कहा जाता है। आखिर पेड़ों के बारे में ऐसा क्या है, जो हमारी जिंदगी के लिए इतना खास है?

हम सबको पता है कि पेड़ प्रकाश संश्लेषण के जरिए हमें ऑक्सीजन देते हैं, यही हमारे जीवन का आधार है। पर अब पेड़ों के नीचे और उन्हें जोड़ने वाला 'वुड वाइड वेब' पृथ्वी पर पारिस्थितिकी की सूचनाओं के भंडार के रूप में उभर रहा है। ये संबंध पहली बार 1997 में कनाडा की एक शोधकर्ता सुजैन सिमर्ड ने अपने पीएचडी शोधकार्य में खोजा था। शोध में सामने आया कि हर जंगल और पेड़ों के नीचे, जमीन के अंदर जड़ों, फंगी और बैक्टीरिया का एक जटिल सहसंबंध या अंतर्जाल है।
यह पेड़ों और पौधों को एक-दूसरे से जोड़ने में मदद करता है। लगभग 50 करोड़ वर्ष पुराना यह भूमिगत सोशल नेटवर्क 'वुड वाइड वेब' नाम से जाना जाता है। पेड़ों की जड़ों से कार्बन लेने वाली माइकोराइजल (कवकमूलीय) फंगी ये नेटवर्क बनाती है और जिन एंजाइम्स को पेड़ ग्रहण नहीं करते, उनके जरिए मिट्‌टी से हासिल किए फॉस्फोरस और नाइट्रोजन को शेयर करती है। फंगी हाइफाय नाम की ट्यूब्स छोड़ती है, जो मिट्‌टी और जड़ों में प्रवेश करके उन्हें नुकसान पहुंचाए बिना पेड़ों और फंगस के बीच में कोशिकीय स्तर पर एक लिंक बनाती है।
पेड़ों के बीच का यह पेचीदा संचार तंत्र पोषक तत्वों से कहीं आगे की चीजें साझा करता है। बिल्कुल 'वर्ल्ड वाइड वेब' की तरह 'वुड वाइड वेब' भी पेड़ों की एक-दूसरे से बात करने और जानकारी साझा करने में मदद करता है। जंगल में कीड़े-मकोड़ों के शिकार पेड़, जड़ों के जरिए फैले अपने वेब के माध्यम से संदेश भेजते हैं, जबकि दम तोड़ता हुए पेड़ अपने आसपास के जवान पेड़ को संसाधन भी साझा करता है। शोध बताते हैं कि पेड़ अपने से जुड़े सारी प्रजातियों के पेड़ों के साथ सूचनाएं और संसाधन साझा करते हैं!
इसलिए जब अगली बार आप कोई जंगल देखें तो याद रखिएगा कि वहां पेड़ भी इंसानों की तरह एक-दूसरे से बात कर रहे हैं, साथ मिलकर काम कर रहे हैं, मदद की पेशकश कर रहे हैं। 2019 में प्रोफेसर थॉमस क्रोथर और स्विट्जरलैंड में उनके साथी वैज्ञानिकों की टीम के साथ स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करके पेड़ों को जोड़ने वाले फंगी और बैक्टीरिया के इस जटिल नेटवर्क की विस्तृत जानकारी जुटाई। 70 से ज्यादा देशों में पेड़ों की 28 हजार जीवित प्रजातियों का यह डाटा शोधकर्ताओं की मदद करेगा।
धरती पर तीन लाख करोड़ पेड़ों में से 60 फीसदी फंगी वेब से जुड़े हुए हैं और अब ऐसी जानकारियां सामने आ रही हैं, जैसी इससे पहले कभी नहीं आईं। इस नेटवर्क का हिस्सा-फंगी में हो रहे परिवर्तन और उनकी कार्बन भंडारण क्षमता के आधार पर वैज्ञानिकों को न सिर्फ यह समझने में मदद मिलेगी कि जलवायु परिवर्तन का क्या असर पड़ रहा है, साथ ही आने वाली परिस्थितियों का अनुमान लगाने में भी मदद मिलेगी।
पेड़ हमेशा से और विभिन्न संस्कृतियों में पूजनीय रहे हैं, वजह है उनसे मिलने वाली छाया, फल, लकड़ी, मिट्‌टी को पकड़कर रखने की उनकी क्षमता और इस सबसे ऊपर हमारी प्राणवायु को शुद्ध करने की उनकी विशेषता। अब विज्ञान आगे बढ़कर बता रहा है कि हमारे पैरों के नीचे जमीन के अंदर दरअसल पेड़ों का संचार तंत्र है और जिस ग्रह पर हम रह रहे हैं, उसकी स्थिति के बारे में यह बहुत कुछ कहता है। ये और बड़ा कारण है कि हम पेड़-पौधों की रक्षा करें और आसपास के पेड़ों का ध्यान रखें।
Next Story