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महिला उच्च शिक्षा के सवाल पर सामाजिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शीर्ष निर्णायक समिति की वार्षिक बैठक से पहले इसकी महिला शाखा राष्ट्र सेविका समिति ने कहा है कि लड़कियों को उपयुक्त शिक्षा अर्जित करने के बाद ही विवाह करना चाहिए, लेकिन शादी की उम्र 'थोपने' से वांछित परिणाम शायद नहीं मिल पाएंगे। इसकी प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक 11 मार्च से शुरू होगी, जहां महिलाओं की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के प्रस्ताव समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। दिसंबर में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने महिलाओं की शादी की उम्र पुरुषों की भांति ही 18 से 21 करने के प्रस्ताव संबंधी एक विधेयक पेश किया था। लेकिन लोकसभा ने यह विधेयक बाद में व्यापक चर्चा के लिए संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया। सरकार ने इस प्रस्तावित कानून को समाज में लड़कों और लड़कियों को समान अवसर प्रदान करने की दिशा में एक अहम कदम बताया है। समाज की राय के अनुसार कुछ इसके पक्ष में हैं तो कुछ इसके विरोध में भी हैं। लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने के संबंध में हमारे समाज में दोनों प्रकार के विचार हैं, लेकिन यह मान लेना होगा कि महिलाओं की शादी की उम्र जैसे सामाजिक मुद्दों पर कुछ कानून थोपने से शायद वांछित परिणाम नहीं मिलेगा।