सम्पादकीय

एक देश के ही भीतर!

Triveni
2 Aug 2021 2:29 AM
एक देश के ही भीतर!
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यह तो अक्सर सुना जाता है कि कोई देश अपने नागरिकों को किसी वैसे देश में ना जाने की सलाह देता है,

यह तो अक्सर सुना जाता है कि कोई देश अपने नागरिकों को किसी वैसे देश में ना जाने की सलाह देता है, जहां वह हालात को खतरनाक मानता है। लेकिन इसके पहले यह कभी नहीं सुना गया था कि भारत के अंदर एक राज्य भी ऐसा परामर्श अपने निवासियों को दूसरे राज्य के बारे में देता है। इसीलिए जब ये खबर आई कि असम सरकार ने अपने निवासियों को मिजोरम ना जाने की सलाह दी है, तो सिर्फ हैरत ही नहीं, बल्कि एक किस्म का सदमा भी लगा। लेकिन जल्द ही बात उससे भी आगे बढ़ती दिखी। खबर यह आई कि मिजोरम में हाल में हुई हिंसा की घटनाओं के सिलसिले में दायर एफआईआर में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को भी अभियुक्त बनाया गया है। क्या इसे पहले कभी सोचा गया था? आखिर भारत कहां जा रहा है? अगर गहराई से सोचें तो जब देश के सत्ताधारी खुद लगातार माहौल को गरमाए रखने, जन समूहों को आक्रोश में रखने और हालात को उबाल पर रखने के उपाय ढूंढते रहते हों, तो आखिर जो माहौल बना रहेगा, वह धीरे-धीरे रंग लाएगा ही।

भारत जैसे बहुभाषी और बहु-सांस्कृतिक देश में अगर राजनीति का मुख्य बिंदु भाषाई, धार्मिक, जातीय या सांस्कृतिक पहचान बन जाए, तो उसका परिणाम देर-सबेर ऐसी घटनाओं के रूप में सामने आना था। ये ठीक है कि देश के ज्यादातर लोगों को अभी इसकी फिक्र नहीं है कि हालात किधर जा रहे हैं। वे मान कर बैठे हैं कि सब ठीक है और देश मजबूत हो रहा है। लेकिन ये खुशफहमी ज्यादा समय तक नहीं टिकेगी, ये बात देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग मुद्दों पर लगातार बढ़ रहे तनावों को देखते हुए बेहिचक कही जा सकती है। असम-मिजोरम सीमा पर सोमवार को तनाव बढ़ने के बाद मिजोरम पुलिस के जवानो की कथित फायरिंग में असम पुलिस के छह जवानों की मौत हो गई थी। उसके बाद भी दोनों ओर से भड़काऊ बयानों का सिलसिला जारी है। इस घटना के बाद बराक घाटी के लोगों की ओर से नेशनल हाइवे की आर्थिक नाकेबंदी कर दी है। इस कारण कई दिनों से असम से कोई वाहन मिजोरम नहीं गया है। इससे जरूरी सामान और खाद्यान्नों से लदे ट्रक मिजोरम नहीं जा पा रहे हैं। यही नहीं, मिजोरम के वैरांग्टी तक जाने वाली एकमात्र रेलवे लाइन पर भी तोड़-फोड़ की गई है, जिससे ट्रेनों की आवाजाही भी ठप है।


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